भारत सरकार ईसाइयों और मुसलिमों को उचित सुरक्षा देने में अक्षम
नयी दिल्ली, 1 मई, 2010 शनिवार (ज़ेनित) धार्मिक स्वतंत्रता के लिये गठित अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय
धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने कहा है कि भारत सरकार ईसाइयों और मुसलिमों
को उचित सुरक्षा देने में अक्षम रही है। धार्मिक स्वतंत्रता के लिये बनी इस आयोग ने
उक्त बातों की जानकारी उस समय दी जब उन्होंने अपना वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
वार्षिक प्रतिवादेन में कहा गया है कि भारत में विभिन्न धर्मावलंबियों के लोग सदियों
से एक-साथ जीवन यापन करते रहें हैं पर हाल की घटनायें बताती हैं कि भारत सरकार ने उस
शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को बचाने में असफल रही है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है
कि कई बार भारतीय सरकार ने साम्प्रदायिक हिंसा को स्वीकर भी की है पर दंगों से पीड़ित
लोगों को न्याय दिलाने में भी सरकार के उपाय बहुत ही मंद और अपर्याप्त रहे हैं। और भारत
में अब भी भय का वातावरण व्याप्त है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हाल के दिनों
में अल्पसंख्यकों पर बड़े पैमाने पर आक्रमण तो नहीं हुए हैं पर ईसाइयों पर आक्रमण की
घटनायें असहिष्णुता के समाचार बराबर आते रहे हैं। आयोग ने भारत के लिये नियुक्त
अमेरिकी राजदूत से कहा है कि वे इस संबंध में भारत सरकार से बातें करें और उन स्थलों
का दौरा करें जहाँ पर साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। विदित हो कि विगत वर्ष अमेरिकी आयोग
को उड़ीसा के दंगा प्रभावित क्षेत्र का दौरा उस समय स्थगित करना पड़ा था जब सरकार ने
उनके लिये वीज़ा मुहैया नहीं करा पाया था। सन् 2008 के उड़ीसा दंगे में सरकारी सूत्रों
के अनुसार 90 लोगों की मृत्यु हो गयी थी और करीब 50 हज़ार लोग महीनों विस्थापित हो गये
थे। अमेरिकी आयोग ने अपने रिपोर्ट के आधार पर भारत को ‘निगरानी सूची’ में रखा है।
आयोग ने अफगनिस्तान, बेलारूस, क्यूबा, मिश्र, इंडोनेशिया, लाओस, रूस, सोमालिया, ताजिकस्तान,
तुर्की और वेनेजुवेला को भी इसी सूची में डाला है। अमेरिकी आयोग ने उन देशों की भी
सूची जारी की है जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान नहीं किया जाता है वे हैं बर्मा चीन,
उत्तर कोरिया, ईरान, ईराक, नाइजिरिया, पाकिस्तान, साउदी अरेबिया, सूडान तुर्कमेनिस्तान,
उजबेगिस्तान और वियेतनाम।