श्रीलंका में तीन दशकों तक चले गृहयुद्ध के समाप्त होने के एक साल बाद भी लगभग 90 हजार
तमिल शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं जहाँ बहुत कम पानी उपलब्ध है। कारितास द्वारा 29
अप्रैल को जारी एक वक्तव्य में इस तथ्य की पुष्टि की गयी है कि यथार्थ शांति के लिए श्रीलंका
को दशकों के संघर्ष के प्रभावों से बाहर निकलना होगा। युद्ध और संघर्ष के कारण अपने घरों
से पलायन करने के लिए विवश हुए अधिसंख्य लोगों का पुर्नवास हो चुका है तथापि लगभग 90
हजार लोग शिविरों में रह रहे हैं और परिस्थिति बहुत कठिन है। श्रीलंका में कारितास के
निदेशक फादर जोर्ज सिगामोनी ने कहा कि उच्च तापमान तथा जल की कमी से शिविरों में परिस्थिति
बहुत खराब है। उन्होंने कहा कि लोगों के पुर्नवास पर विशेष ध्यान है तथापि जो लोग शिविरों
में हैं उनकी जरूरतों को पूरा किये जाने की आवश्यकता है तो दूसरी ओर जिनका पुर्नवास हो
चुका है वे भी आवागमन, स्वच्छ पेयजल, चिकित्सा तथा सड़क जैसी अपर्याप्त बुनियादी सुविधाओं
के रह रहे हैं। बहुत बड़ी संख्या में विधवाओं, विकलांगों, अनाथों तथा बुजुर्गों को सहायता
की जरूरत है। कारितास, युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में राहत सहायता प्रदान करनेवाली कुछेक
संस्थाओं में से है जो आश्रयों का निर्माण कर किसानों, मछुआरों, बढ़ईयों और लघु व्यवसायियों
की जरूरतों पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। यह शांति निर्माण की पहलों सहित भूतपूर्व बाल
सैनिकों तथा अन्य लड़ाकाओं को नये सिरे से जीवन आरम्भ करने के लिए मदद कर रही है।