बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश 28 अप्रैल,
2010
रोम, 28 मार्च, 2010 (सेदोक) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न
भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा- .
प्रिय भाइयो एवं बहनों,
पुरोहितों के साल का समापन होने के पहले आइये हम आज की धर्मशिक्षामाला में 19वीं शताब्दी
के दो संतों के जीवन के बारे में चिंतन करें।
ये दोनों संत इटली के ट्यूरिन के
थे। संत लेओनार्द मुरियाल्दो जिसने एक धर्म समाज की स्थापना की जिसे संत जोसेफ धर्मसमाज
के नाम से जाना जाता है।
संत लेओनार्द ने उन युवाओं की शिक्षा दीक्षा और जीवन
के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया जिनकी चिन्ता कोई नहीं करते थे।
संत लेओनार्द
ने अपने पुरोहित जीवन को एक ईश्वरीय वरदान के रूप में देखा था । उन्होंने अपने पुरोहितीय
जीवन को प्रेम कृततज्ञता और आनन्द से जीना जीया।
उन्होंने अपने धर्मसमाज के सदस्यों
को भी इस बात की प्रेरणा दी की वे अपने जीवन को उत्साहपूर्वक जीयें और अपने प्रवचन के
अनुसार ही लोगों को ईश्वरीय प्रेम का साक्ष्य दें।
ट्यूरिन के ही दूसरे संत -
जोसेफ कोत्तोलेंगो है जिन्होंने अपना सारा जीवन ईश्वरीय प्रेम के प्रचार में लगा दिया।
अपने पुरोहिताई के आरंभिक काल ही में उन्हें एक ईश्वरीय अनुभव हुआ और उसके बाद उन्होंने
“लिटल होम ऑफ डिवाइन प्रोविडेंस” के नाम एक संस्था की स्थापना की।
इस संस्था
के द्वारा आज भी हज़ारों धर्मसमाजी पुरोहित और लोकधर्मी लोगों की सेवा के लिये अपने आपको
समर्पित करते हैं।
आज मैं प्रार्थना करता हूँ कि इन दोनों संतों के जीवन और
ईश्वर के प्रति उनका प्रेम और समर्पण पुरोहितों और अन्य लोगों को प्रेरित करे ताकि वे
उदारतापूर्वक अपना जीवन ईश्वर और ज़रूरतमंद लोगों की सेवा में लगा दें।
पिछले
सप्ताह के अंत में मुझे माल्टा में प्रेरित संत पौल के पोतभंग और वहाँ उनके तीन महीनों
के निवास का 1950वाँ वर्षगाँठ मनाने का सुवासर मिला।
. इतना कहकर संत पापा
ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने इंगलैंड और नोर्वे से लूथरन कलीसिया के
प्रतिनिधियों, यहूदी प्रतिनिधियों स्कॉटलैंड, नोर्वे, इंडोनेशिया और अमेरिका के तीर्थयात्रियों,
उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर पुनर्जीवित येसु प्रभु की कृपा और शांति
का कामना करते हुए कहा की उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।