विश्व पृथ्वी दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव का संदेश
22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव श्री बान
की मून ने इस अवसर के लिए जारी अपने संदेश में कहा है कि धरती माता, हमारा एकमात्र घर,
दबाव में है। यह अत्यधिक दोहन के कारण तनाव और दबाव प्रदर्शित कर रही है। उन्होंने कहा
कि मानव इतिहास में मानव जाति के अस्तित्व, विकास और बेहतरी के लिए हम प्रकृति की उदारता
और समृद्धि पर निर्भर रहे हैं। बहुत बार हमने प्रकृति की निधि का दोहन किया है लेकिन
निवेश नहीं किया है। जलवायु परिवर्तन, ओजोन परत की हानि इसका ज्वलंत उदाहरण है। जैव विविधता
में तेजी से कमी आ रही है। स्वच्छ जल और समुद्री संसाधन निरंतर प्रदूषित हो रहे हैं तथा
मतस्य उत्पादन क्षेत्र और भूमि बंजर हो रही है। श्री मून ने कहा कि पृथ्वी की उपेक्षापूर्ण
देखभाल के परिणाम संसार के सबसे कमजोर तबके के लोगों - देशज समुदायों, निर्धन ग्रामीण,
झुग्गी झोपडि़यों तथा मरूभूमि की सीमाओं पर रहनेवालों पर हो रहा है। यदि गरीबी के दुष्चक्र
से निकल कर विकास की ओर बढ़ना है तो लोगों को ऊपजाऊ भूमि, स्वच्छ जल और पर्याप्त शौचालय
सुविधा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि धरती माता की रक्षा करना हमारी रणनीति का अंतरंग
भाग है। धारणीय पर्यावरणीय आधार के बिना गरीबी कम करने तथा भूख की समस्या को दूर करने
के लक्ष्य को प्राप्त करने की आशा कम ही होगी। श्री मून ने कहा कि 22 अप्रैल को विश्व
पृथ्वी दिवस मनाने के द्वारा जागरूकता का प्रसार किया जा रहा है। पर्यावरण की धारणीयता
अर्थात पृथ्वी के संसाधनों का विवेकपूर्ण प्रबंध करना संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य
राष्ट्रों द्वारा एक दशक पूर्व स्वीकार किये गये सह्स्राब्दि विकास के आठ लक्ष्यों में
से एक है। सितम्बर माह में न्यूयार्क में एक सम्मेलि का आयोजन किया जायेगा ताकि अब तक
हुई प्रगति की समीक्षा की जा सके और व्यावहारिक परिणाम उन्मुख योजना की रूप रेखा तैयार
की जा सके। श्री मून ने सरकारों, व्यापार जगत तथा विश्व के सब लोगों का आह्वान किया
कि धरती माता को वह सम्मान और देखभाल दें जो उसे मिलनी चाहिए।