न्यू यॉर्कः महाधर्माध्यक्ष मिलियोरे ने देशज लोगों के धारणीय विकास का आह्वान किया
न्यू यॉर्क में मंगलवार को देशज लोगों की स्थिति पर, देशज मुद्दों पर गठित संयुक्त राष्ट्र
संघ के आर्थिक एवं सामाजिक मंच के नवें सत्र में बोलते हुए वाटिकन के पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष
चेलेस्तीनो मिलियोरे ने देशज लोगों के धारणीय विकास का आह्वान किया।
उन्होंने
कहा कि परमधर्मपीठ अखण्ड विकास का प्रस्ताव करती है जिसमें सम्पूर्ण मानव प्राणी तथा
सम्पूर्ण समुदाय के सर्वांगीण विकास की बात की जाये और साथ ही उसकी सांस्कृतिक अस्मिता
को बरकरार रखा जाये।
उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये निर्धनता
निवारण तथा जीवन स्तर को उठाये जाने की नितान्त आवश्यकता है। इसके अन्तर्गत उन्होंने
कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के सांस्कृतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, संस्थात्मक, न्यायिक, आर्थिक
एवं शैक्षिक आयाम पर ध्यान देना अनिवार्य है।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि विकास
की पारम्परिक देशज दृष्टि मानव विकास की अखण्डता पर केन्द्रित रहती तथा इस तथ्य पर बल
देती है कि धरती एवं पर्यावरण पवित्र एवं उत्तम वरदान हैं जिनका दुरुपयोग नहीं होना चाहिये।
इन संसाधनों का उपयोग केवल आर्थिक लाभ के लिये नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि ये देशज
लोगों की सामाजिक एवं सांस्कृतिक अखण्डता तथा उनकी अस्मिता के लिये महत्वपूर्ण आधार होते
हैं। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि देशज लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए भूमि एवं
क्षेत्र सम्बन्धी उनके अधिकारों को प्रोत्साहन दिया जाना अनिवार्य है।
महाधर्माध्यक्ष
ने इस बात की ओर भी ध्यान आकर्षित कराया कि देशज संस्कृति को समर्थन देने का अर्थ अतीत
में लौटना नहीं है अपितु परम्परागत रूप से प्रसारित मूल्यों एवं सिद्धान्तों को आगे ले
जाना है।