बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
रोम, 14 मार्च, 2010 (सेदोक) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न
भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- . प्रिय भाइयो एवं
बहनों, पुरोहितों का साल अब समाप्त होने जा रहा है । आज की धर्मशिक्षामाला में पुरोहितों
के जीवन और कार्यों पर मनन-चिंतन करें। येसु हमारे महापुरोहित हैं। येसु के जीवन और कार्यों
पर जब हम मनन-चिन्तन करते हैं तो हम पाते हैं कि पुरोहितों के तीन प्रमुख कार्य हैं।
शिक्षा देना, शुद्ध करना और शासन करना। जब पुरोहित इन तीन कार्यों को बखूबी करते
हैं तो वे अपने को ख्रीस्त के रूप में लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
वास्तव
में पुरोहित का कार्य है येसु मसीह के ही कार्यो को आगे बढ़ाना और पुनर्जीवित येसु की
इच्छा है कि वे पुरोहितों के द्वारा अपने तीनों कार्यों को आगे बढ़ायें।
अगर
हम पुरोहितों के पहले कार्य पर चिन्तन करें तो हम पायेंगे कि पुरोहित का प्रथम दायित्व
है कि वे दूसरों को शिक्षा दे।
पुरोहित का दायित्व है कि वे ईश्वर के बारे
उन्हीं बातों को प्रकट करें जिसे ईश्वर ने येसु को प्रकट किया था और उसी के बारे में
शिक्षा और प्रवचन भी दें।
वास्तव में एक पुरोहित को चाहिये कि वह येसु के प्रेम
के बारे में अपने जीवन से साक्ष्य दे। वह उन्हीं पुनर्जीवित येसु के बारे में साक्ष्य
दे जो सत्य है, शांति और आनन्द का दाता है और आध्यात्मिक नवीनीकरण के श्रोत है।
पुरोहित
ईश्वर के द्वारा इस लिये बुलाये जाते हैं कि वे आधुनिक संस्कृति के प्रलोभनों के विपरीत,
प्रेरितिक परंपरा के अनुसार आजीवन सत्य का प्रचार करें और येसु के प्रेम का साक्ष्य
दें।
आज सब पुरोहित, पुरोहितों के संरक्षक संत योहन मेरी वियन्नी के जीवन से
प्रेरणा ग्रहण करें और येसु का ऐसा प्रचार करें कि उनकी वाणी में लोग भले चरवाहे येसु
मसीह की आवाज़ को सुन सकें।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने
इंगलैंड, वेल्स, स्कोटलैंड, डेनमार्क, फिनलैंड, स्वीडेन, कनाडा, भारत और अमेरिका के तीर्थयात्रियों,
उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर पुनर्जीवित येसु प्रभु की कृपा और शांति
का कामना करते हुए कहा की उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।