स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का
सन्देश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सोमवार 5 अप्रैल को कास्तेल गोंदोल्फो स्थित
प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में देश विदेश से आये लगभग दो हजार तीर्थयात्रियों के साथ
स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया। इससे पूर्व उन्होंने भक्तों और पर्यटकों
को सम्बोधित करते हुए कहा-
अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
पास्का के प्रकाश
में – जिसे हम इस पूरे सप्ताह मनाते रहेंगे – आप सबके प्रति मैं शांति एवं आनन्द की मंगलकामनाओं
को नवीकृत करता हूँ। जैसा कि आप जानते है पास्का महापर्व के दूसरे दिन पड़नेवाला सोमवार
"देवदूत सोमवार" कहा जाता है। देवदूत के इस सन्दर्भ पर चिन्तन करना बहुत ही रुचिकर है।
स्वाभाविक तौर पर हमारे विचार सहज ही येसु के पुनरुत्थान से सम्बन्धित सुसमाचारी पाठों
की तरफ अभिमुख होते हैं जिनमें प्रभु के सन्देशवाहक के व्यक्तित्व से हमारा साक्षात्कार
हो जाता है जिसने कब्र के पास आनेवाली महिलाओं के लिए पुनरूत्थान की घोषणा की।
संत
मत्ती लिखते हैं- एकाएक भारी भूकम्प हुआ। प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा, कब्र के पास
आया और पत्थर अलग लुढ़काकर उस पर बैठ गया। उसका मुखमंडल बिजली की तरह चमक रहा था और उसके
वस्त्र हिम के समान उज्ज्वल थे।
चारों सुसमाचार लेखक कहते हैं कि जब महिलाएँ
कब्र के पास पहुँची, उन्होंने पाया कि कब्र खुला है और खाली है वहाँ स्वर्गदूत है जिसने
येसु के पुन- जी उठने की घोषणा किया।
संत मत्ती के सुसमाचार में प्रभु का संदेशवाहक
उनसे कहता है- डरिए नहीं आपलोग ईसा को ढूँढ़ रही हैं जो क्रूस पर चढ़ाये गये थे। वे यहाँ
नहीं हैं। वे जी उठे हैं जैसा कि उन्होंने कहा था। खाली कब्र को दिखाते हुए उन्होंने
शिष्यों को यह सुसमाचार सुनाने का महिलाओं को संदेश दिया।
संत मारकुस रचित सुसमाचार
में स्वर्गदूत के बारे में कहा गया है श्वेत वस्त्र पहने एक नवयुवक ने महिलाओं को वही
संदेश दिया।
संत लूकस कहते हैं कि उजले वस्त्र पहने दो पुरूष आकर खड़े हो गये
और महिलाओं को याद कराते हैं जैसा कि येसु ने अपनी मृत्यु और पुनरूत्थान से बहुत पहले
ही कहा था।
संत योहन भी उजले वस्त्र पहने दो स्वर्गदूतों के बारे में कहते हैं-
मरियम मगदलेना जिसने रोते रोते कब्र के भीतर दृष्टि डाली तो दो दूतों ने उससे कहा- भद्रे,
आप क्यों रोती हैं. लेकिन् पुनरूत्थान के स्वर्गदूत के अन्य अर्थ भी है। इस बात
को ध्यान में रखना चाहिए कि देवदूत शब्द का अर्थ, देवदूतों को परिभाषित करने के अतिरिक्त
कि वे आत्मिक प्राणी हैं जिनके पास बुद्धि और इच्छा है, ईश्वर के सेवक और संदेशवाहक हैं,
यह बहुत पुरानी उपाधियों में से एक है जिसे येसु को दिया गया है। हम उदाहरण के लिए तेरतुलियन
में पढ़ते हैं। वह जो ख्रीस्त हैं उन्हें भले परामर्श का स्वर्गदूत भी कहा गया है अर्थात
संदेशवाहक, यह शब्द एक काम के बारे में कहता है न कि उसकी प्रकृति के बारे में। वस्तुतः
उन्हें मानव की मुक्ति के लिए पिता की योजना के बारे में सारे संसार के लिए घोषणा करनी
थी। ईश पुत्र येसु ख्रीस्त इसलिए पिता ईश्वर के स्वर्गदूत भी कहे जाते हैं। वे अपने प्रेम
के सर्वश्रेष्ठ संदेशवाहक हैं। प्रिय मित्रो, अब हम इस पर विचार करते हैं जिसे पुर्नजीवित
येसु ने अपने शिष्यों से कहा था- जिस प्रकार पिता ने मुझे भेजा, उसी प्रकार मैं तुम्हें
भेजता हूँ। और उन्होंने उनपर अपना पवित्र आत्मा भेजा। इसका अर्थ है कि येसु पिता ईश्वर
के प्रेम के संदेशवाहक थे, हमें भी ख्रीस्त के प्रेम बनना चाहिए। हम उनके पुनरूत्थान
के संदेशवाहक हैं, बुराई और मृत्यु पर उनकी जीत तथा उनके दिव्य प्रेम के वाहक हैं। वास्तव
में हम अपने स्वभाव से पुरूष या महिला हैं लेकिन हम ख्रीस्त का संदेशवाहक बनने के लिए
स्वर्गदूतों का मिशन प्राप्त करते हैं। यह सब लोगों को बपतिस्मा और दृढ़ीकरण संस्कार
प्राप्त करते समय दिया जाता है। विशेष रूप से पवित्र पुरोहिताई संस्कार के द्वारा यह
पुरोहितों को, ख्रीस्त के सेवकों, को प्राप्त होता है। मैं पुरोहितों को समर्पित वर्ष
में इस तथ्य पर विशेष बल देना चाहता हूँ। प्रिय भाईयो और बहनो, हम कुँवारी माता
मरियम, स्वर्ग की रानी की मध्यस्थता की याचना करें ताकि वे पास्का रहस्य के पूर्ण सौंदर्य
का स्वागत करने तथा पुर्नजीवित ख्रीस्त के हर्षित और साहसी संदेशवाहक बनने के लिए हमारी
सहायता करें। इतना कहने के बाद संत पापा ने स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का
पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।