2010-04-04 12:38:49

वाटिकन सिटीः पास्का महापर्व के उपलक्ष्य में रोम शहर एवं विश्व के नाम जारी सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


"प्रभु के आदर में गीत गायें, महिमामय है उसकी विजय"

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

धर्मविधि के इन शब्दों में, मैं, पास्का की उदघोषणा आप तक लाता हूँ, यह उस प्राचीन स्तुतिगान को प्रतिध्वनित करता है जिसे लाल सागर पार करने के बाद इसराएलियों ने गाया था। निर्गमन ग्रन्थ में इसका विवरण मिलता है (दे. 15:19-21) और वह यह कि जब वे सागर पार कर सूखी भूमि पर पहुँचे तथा मिस्रियों को जलमग्न होते देखा तब मूसा एवं आरोन की बहन मिरियम तथा अन्य महिलाओं ने इसी हर्ष गीत को गाया तथा नृत्य कियाः
"प्रभु का गुणगान करो, क्योंकि उसने महान कार्य किया,
उसने घोड़ों और उसके सवारों को समुद्र में बहा दिया है।"

समस्त विश्व के ख्रीस्तीय धर्मानुयायी रात्रि जागरण के अवसर पर इस गीत को दुहराते हैं तथा एक विशिष्ट प्रार्थना इसके अर्थ को स्पष्ट करती है; वह प्रार्थना जिसे अब, पुनरुत्थान के पूर्ण प्रकाश में, हम, हमारा अपना गीत बनाते हैं: "पिता, आपने बहुत पहले जो महान कार्य किये थे उन्हें हम आज भी देख रहे हैं। एक बार आपने एक अकेले देश को दासता से मुक्त किया था, और अब बपतिस्मा संस्कार द्वारा आप सबको वह मुक्ति अर्पित कर रहे हैं। विश्व के लोग अब्राहम की सच्ची सन्तान बनें तथा इसराएल की धरोहर के योग्य उत्तराधिकारी सिद्ध होवें।"

सुसमाचार ने हम पर प्राचीन व्यक्तित्वों की परिपूर्णता प्रकट की हैः अपनी मृत्यु तथा पुनरुत्थान द्वारा, येसु ख्रीस्त ने हमें पाप की आत्यन्तिक दासता से मुक्त किया है तथा हमारे लिये प्रतिज्ञात भूमि अर्थात् ईश राज्य, न्याय, प्रेम एवं शांति के सावभौमिक राज्य के द्वार खोल दिये हैं। यह "निर्गमन" सर्वप्रथम मानव मन में सम्पादित होता है, तथा इसके अन्तर में, पवित्रआत्मा में नवजीवन निहित होता है, यह उस बपतिस्मा का प्रभाव है जिसे ख्रीस्त ने हमें अपने पास्का रहस्य द्वारा दिया है। वृद्ध मनुष्य अपनी जगह नये मनुष्य को देता है; पुराना जीवन पीछे छोड़ दिया गया है तथा नवजीवन शुरु हो सकता है (दे. रोमियों 6:4)। तथापि, यह आध्यात्मिक "निर्गमन" अखण्ड मुक्ति की शुरुआत है, जो हमें मानवीय, व्यक्तिगत एवं सामाजिक, प्रत्येक आयाम में नवीकृत करने में सक्षम है।

जी हाँ, मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, पास्का मानवजाति की यथार्थ मुक्ति है। ईश्वर के मेमने, ख्रीस्त ने यदि हमारे लिये रक्त नहीं बहाया होता तो हम आशाविहीन होते, हमारी नियति और सम्पूर्ण विश्व की नियति अपरिहार्य रूप से मृत्यु होती। किन्तु ईस्टर ने उस प्रवृत्ति को उलट दिया हैः ख्रीस्त का पुनरुत्थान एक नयी सृष्टि है, उस कलम के सदृश जो पूरे पौधे के पुनरुत्पादन में सक्षम है। यह एक ऐसी घटना है जिसने, सब समय के लिये भलाई, जीवन एवं क्षमा की तरफदारी कर, आमूल रूप से, इतिहास की दिशा को ही बदल दिया है। हम स्वतंत्र हो गये हैं, हमें मुक्ति मिल गई है। अस्तु, हृदय का अतल गहराईयों से हम पुकार उठते हैं: "प्रभु के आदर में हम गीत गायें, उसकी विजय महिमामय है।"

बपतिस्मा के जल से ऊपर निकलकर, ख्रीस्तीय प्रजा, इस मुक्ति का साक्ष्य प्रदान करने के लिये सम्पूर्ण जगत में प्रेषित की जाती है, पास्का के फलों को जन जन में पहुँचाने के लिये प्रेषित की जाती है, जो पाप से मुक्त तथा अपने मूल सौन्दर्य, अपनी अच्छाई तथा अपने सत्य से पुनः प्रतिष्ठापित नवजीवन में निहित है। दो हज़ार वर्षों के अन्तराल में, अनवरत, ख्रीस्तीय लोगों और, विशेष रूप से, सन्तों ने, पास्का के सजीव अनुभव से इतिहास को फलप्रद बनाया है। कलीसिया निर्गमन की प्रजा है क्योंकि वह अनवरत पास्का रहस्य को जीती तथा प्रत्येक काल एवं प्रत्येक स्थान में उसकी नवीन करने की शक्ति का प्रसार करती है। हमारे युग में भी, मानवजाति को एक "निर्गमन" की आवश्यकता है, कोई सतही व्यवस्था की नहीं, अपितु आध्यात्मिक एवं नैतिक रूप से मनपरिवर्तन की आवश्यकता। उसे सुसमाचार की मुक्ति की ज़रूरत है ताकि घोर संकट से वह उभर सके, ऐसा संकट जिससे उभरने के लिये अन्तःकरणों से आरम्भ करते हुए, आमूल परिवर्तन की आवश्यकता है।

मैं प्रभु येसु से विनती करता हूँ कि मध्यपूर्व में और, विशेष रूप से, प्रभु की मृत्यु एवं पुनरुत्थान से पवित्रीकृत भूमि में, लोग युद्ध एवं हिंसा को पार कर शांति एवं समझौते के यथार्थ और निश्चयात्मक "निर्गमन" को सम्पादित कर पायेंगे। विशेष रूप से, ईराक तथा अन्य स्थलों में अत्याचार सहनेवाले ख्रीस्तीय समुदायों के समक्ष पुनर्जीवित प्रभु उन्हीं सान्तवनादायी एवं उत्साहवर्द्धक शब्दों को दुहराते हैं जिनसे उन्होंने अन्तिम भोजन कक्ष में प्रेरितों को सम्बोधित किया थाः "तुम्हें शांति मिले", (योहन 20:21)।

मादक पदार्थों से संलग्न अपराधों की ख़तरनाक वृद्धि का अवलोकन करते लातीनी अमरीका एवं करीबियाई द्वीप के देशों को, पास्का शांतिपूर्ण सहअस्तित्व तथा जन कल्याण के प्रति सम्मान की विजय का संकेत दे। भूकम्प की भयावह त्रासदी का शिकार बने हेयटी के प्रिय लोग, अन्तरराष्ट्रीय एकात्मता से समर्थन प्राप्त कर, विरह वेदना एवं निराशा को पार कर नई आशा तक उनका अपना "निर्गमन" पूरा करें। एक और प्रकृतिक प्रकोप के शिकार बनी, चीले की प्रिय जनता, अपने विश्वास से समर्थन प्राप्त कर, दृढ़ं सकल्प के साथ पुनर्निर्माण कार्य में जुट सके।

पुनर्जीवित येसु की शक्ति से, निरन्तर विनाश एवं उत्पीड़न का कारण बन रहे, अफ्रीका के सभी संघर्षों का अन्त हो सके तथा शांति एवं पुनर्मिलन उपलब्ध किया जा सके जो विकास की गारंटी देते हैं। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, गिनी एवं नाईजिरिया के भविष्य को, विशेष रूप से, मैं प्रभु के सिपुर्द करता हूँ।

पुनर्जीवित प्रभु, अपने विश्वास के ख़ातिर अत्याचार और यहाँ तक कि मृत्यु सहनेवाले, उदाहरणार्थ पाकिस्तान के, ख्रीस्तीयों को समर्थन दें। आतंकवाद तथा सामाजिक एवं धार्मिक भेदभाव से पीड़ित देशों को प्रभु वार्ता एवं शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की पहल करने की शक्ति प्रदान करें। राष्ट्रों के नेताओं को पास्का महापर्व आलोक एवं सम्बल प्रदान करे ताकि आर्थिक एवं वित्तीय गतिविधियाँ, अन्ततः, सत्य, न्याय एवं भ्रातृत्वपूर्ण साहचर्य के मापदण्ड से प्रेरित हों। ख्रीस्त के पुनरुत्थान की उद्धारकारी शक्ति सम्पूर्ण मानवजाति पर आच्छादित हो जाये ताकि वह "मृत्यु की संस्कृति" की, नित्य विस्तृत होती बहुल त्रासदिक अभिव्यक्तियों को अभिभूत कर सके तथा प्रेम एवं सत्य युक्त ऐसे भविष्य का निर्माण किया जा सके जिसमें प्रत्येक मानव जीवन का स्वागत एवं सम्मान हो।

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, पास्का जादूई कार्य नहीं करता। जिस तरह इसराएलियों ने लाल सागर के उस पार उजाड़ प्रदेश को उनकी प्रतीक्षा करते देखा था उसी प्रकार, पुनरुत्थान के बाद, कलीसिया इतिहास को आनन्द एवं आशा के साथ साथ दुःख एवं तीव्र वेदना से सदैव भरा हुआ पाती है। इसके बावजूद, यह इतिहास बदल गया है, यह नवीन एवं अनन्त संविदा से चिह्नित है, यह वास्तव में भविष्य की ओर अभिमुख है। इसी कारण, आशा द्वारा मुक्ति पाकर, प्राचीन, तथापि, नित्य नये गीत को अनवरत मन में रखकर, हम अपनी तीर्थयात्रा जारी रखें: "प्रभु के आदर में गीत गायें, महिमामय है उसकी विजय"।

इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रोम शहर तथा विश्व के नाम अपना सन्देश समाप्त किया तथा सबको अपना प्ररितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

आशीर्वाद देने के बाद उन्होंने विभिन्न भाषाओं में पास्का की शुभकामनाएँ अर्पित कीं।








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