2010-04-03 08:24:41

वाटिकन सिटीः गुड फ्रायडे आशा का दिवस, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें


रोम के ऐतिहासिक स्मारक कोलोसेऊम में शुक्रवार रात्रि को सम्पन्न पवित्र क्रूस मार्ग की धर्मविधि के अवसर पर श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि गुड फ्रायडे महान आशा की दिवस है।

सन्त पापा ने कहा कि पवित्र क्रूस मार्ग के मुकामों पर चिन्तन से हम मानवजाति के प्रति ख्रीस्त असीम प्रेम की पुनर्खोज करते हैं। उन्होंने कहा, "इस रात हमने येसु के दुःख भरे मुख पर चिन्तन किया, जिसका उपहास किया गया, अपमान किया गया और जिसे मनुष्य के पाप ने विकृत किया।" तथापि, उन्होंने कहा कि दुःख और अपमान सहने के बाद प्रभु येसु पुनः मुर्दों में से जी उठे और उन्होंने पाप और मृत्यु पर विजय प्राप्त की। इसी की स्मृति में कल रात हम, आनन्द और वैभव से परिपूर्ण तथा प्रकाश से दमकते, उनके चेहरे पर मनन करेंगे।

सन्त पापा ने कहा, "जिस क्षण से ख्रीस्त कब्र में दफना दिये गये थे, उस क्षण से, कब्र और मृत्यु आशाविहीन स्थल नहीं रह गये हैं जहाँ इतिहास अपनी विफलताओं के साथ खत्म हो जाता तथा मानव अपनी सत्ताहीनता एवं निर्बलता की अन्तिम सीमा को छू लेता है।" अपितु, उन्होंने कहा, "गुड फ्रायडे महान आशा का दिवस है जो क्रूस पर परिपक्व हुई।"

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि अपने प्राणों का उत्सर्ग करते हुए येसु पुकार उठे थे, "पिता तेरे हाथों में मैं अपनी आत्मा को सौंपता हूँ।" सन्त् पापा ने कहा कि येसु जानते थे कि पिता ईश्वर के हाथों में स्वतः का समर्पण कर उनकी मृत्यु जीवन का स्रोत बन गई है जिस प्रकार पौधा बनने से पहले बीज ज़मीन में दबकर मर जाता है। जब तक ज़मीन पर गिरा गेंहूँ का दाना मर नहीं जाता, वह अकेला ही रहता है, किन्तु यदि वह मर जाता है तो विपुल फल उत्पन्न करता है।

उन्होंने कहा, "येसु वह गेंहूँ का दाना है जो ज़मीन पर गिरकर, टूट जाता, फाड़ दिया जाता तथा मर जाता है और इसीलिये बहुत अधिक फल देता है।"

उन्होंने कहा, "जिस दिन से येसु क्रूस पर चढ़ाये गये तब से ही क्रूस, जो परित्यक्ति, अकेलेपन और विफलता का प्रतीक था, एक नई शुरुआत बन गया। मृत्यु की अतल गहराईयों से अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा प्रस्फुटित हुई; क्रूस पर अब पास्का के उषाकाल का विजयी वैभव दैदीप्यमान होने लगा है।"

सन्त पापा ने कहा कि अब कलीसिया प्रभु के पुनःरुत्थान के पास्का रविवार का इन्तज़ार कर रही है क्योंकि पास्का रविवार ईश प्रेम के उषाकाल का रविवार है; उस ज्योति का उषाकाल जो मन की आँखों को, जीवन की कठिनाइयों एवं उसकी पीड़ा को, देखने में समर्थ बनाता है।

उन्होंने कहा, "हमारे अन्त का अन्देशा देनेवाली हमारी विफलताएँ, हमारे भ्रम, हमारी आशंकाएँ और हमारी कटुता अब महान आशा में परिणत हो गई है। पिता ईश्वर एवं पुनरुत्थान के प्रकाश द्वारा समर्थित, क्रूस पर सम्पादित प्रेम के कृत्य ने सबकुछ को रूपान्तरित कर दिया है।"

सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सभी से अनुरोध किया कि ख्रीस्त के क्रूसमरण एवं पुनरुत्थान से प्रेरणा प्राप्त कर वे क्षमा एवं पुनर्मिलन के लिये तत्पर होवें तथा जन जन में प्रेम, मैत्री, न्याय एवं शांति को प्रसारित करें।








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