काठमाण्डू, 22 मार्च, 2010 सोमवार (उकान) नेपाल के एक ईसाई समाज सेवी संगठन ने गर्भपात
के ख़िलाप एक अभियान छेड़ रखा है। संगठन के अध्यक्ष सोमन राय ने कहा उनके अभियान को जिस
तरह का जनसमर्थन मिला है वह उत्साहवर्द्धक है। उन्होंने बताया कि 14 फरवरी को उन्होंने
पहली बार गर्भपात के विरोध में रैली निकाली थी और आम लोगों ने इसका खुल का समर्थन किया
है। ‘वोइस ऑफ फिटस’ नामक संगठन के निदेशक सोमन ने कहा कि 14 फरवरी को जब उन्होंने
पहली बार एक रैली का आयोजन किया था तो कई समाचार पत्रों ने इसे इसे प्रकाशित किया था।
उन्होंने बताया कि रैली में करीब 160 लोगों ने ही हिस्सा लिया और पूरे शहर का दौरा किया। सोमन
ने बताया कि वॉइस ऑफ फिटस एक पंजीकृत स्वयंसेवी संस्था है जिसके कार्यकारिणी समिति में
9 सदस्य हैं और जिन्होंने मिलकर एक अभियान चलाया है ताकि गर्भपात न करायें। विदित
हो कि नेपाल में गर्भपात को सन् 2002 ईस्वी से ही कानूनी मान्यता प्राप्त है। गर्भपात
कानून के अनुसार आम गर्भधारण में व्यक्ति 12 सप्ताहों के भीतर गर्भपात करा सकता है और
बलात्कार आदि केसों में 18 सप्ताह के भीतर भी गर्भपात कराने को कानूनी सही माना गया है।
अगर महिला के जीवन को खतरा हो तब तो कभी भी गर्भपात का सहारा लिया जा सकता है। उधर सोमन
राय ने बताया कि इस कानून में अनेक गलतियाँ हैं।. उन्होंने बताया कि काठमाण्डू में
‘कपल फॉर क्राइस्ट’ के सदस्यों ने भी उनके गर्भपात विरोधी अभियान का स्वागत किया है।
उन्होंने बताया कि उनकी योजना है कि वह इस संबंध में कॉलेज छात्र-छात्राओं को जानकारी
देंगे। उनके इस अभियान का मेडिकल के छात्रों और संवाददाताओं ने भी रुचि दिखायी है। स्थानीय
समाचार पत्र ‘नेपाली कांतिपुर डेली’ के सर्वे के अनुसार नेपाल में सन् 2007 में करीब
57 हज़ार गर्भपात किये गये थे जो सन् 2008 में बढ़कर 70 हज़ार हो गये। यह तथ्य भी सामने
आया है कि गर्भपात कराने वालों में 35 प्रतिशत लोग 25 साल से कम उम्र वाले हैं।