उत्तर-पश्चिम भारत के लिये प्रथम जेस्विट महाविद्यालय
जयपुर 18 मार्च, 2010 गुरुवार (उकान) जेस्विटों ने जयपुर में अवस्थित संत जेवियर स्कूल
को अपग्रेड कर जुलाई महीने से कॉलेज की पढ़ाई आरंभ करने का निर्णय किया है। यह कॉलेज
उत्तर-पश्चिम भारत का प्रथम जेस्विट महाविद्यालय होगा। ‘टाईम्स ऑफ इंडिया’ समाचार
के अनुसार जेस्विटों ने सन् 1941 ईस्वी में संत जेवियर्स स्कूल की स्थापना की थी और करीब
70 साल के बाद नये कॉलेज में डिग्री कोर्स चलाने का निर्णय किया है। इसमें बी.कॉम, बी.बी.ए.
और बी.सी.ए. की पढ़ाई होगी। संत जेवियर कॉलेज के मैनेजर जेस्विट फादर वार्की पारेक्काट
ने बताया कि उन्हें नये कॉलेज आरंभ करने की प्रेरणा राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नीति से मिली
है। इस नीति के तहत् इस बात पर बल दिया गया है कि शिक्षा के विस्तार, उत्कृष्टता और समावेशन
को प्रोत्साहन दिया जाये। फादर परेक्काट ने बताया कि कॉलेज प्रबंधन चाहती है कि कॉलेज
का अपना कैंपस हो जिसे जगतपुरा या अजमेर रोड में स्थापित किया जायेगा।आरंभिक दिनों में
कॉलेज की पढ़ाई हाथरोई फोर्ट रोड में अवस्थित स्कूल कैंपस से ही चलाया जायेगा। उन्होंने
कहा कि जेस्विट चाहते हैं कि जयपुर की शिक्षा के स्तर को ऊँचा हो। इसके लिये उन्होंने
अनुभवी प्रोफेसरों और शोध पाठ्यक्रमों के सहारे विद्यार्थियों का समग्र विकास की योजना
बनायी है। फादर परेक्काट ने यह भी बताया कि बीबीए और बीसीए के लिये 60-60 सीट उपलब्ध
हैं जिसे भविष्य में 10 तक बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। बीकॉम के लिये आरंभ ही में दो
सौ सीट हैं। कॉलेज को आरंभ में 11 विषयों के लिये कला और विज्ञान के लिये 6 विषयों
के लिये ‘नो ऑब्जेकशन सर्टिफिकेट’(एनओसी) दिये गये हैं जिसे तब लागू किया जायेगा जब
कॉलेज का अपना परिसर तैयार हो जायेगा। महाविद्यालय के संयोजक एस.एन. शर्मा ने बताया
कि कॉलेज ने इस बात पर विचार किया है कि अगले सत्र से स्कूल परिसर में ही बी.ए. की पढ़ाई
के लिये अपराह्न के समय का उपयोग किया