नई दिल्ली, 18 मार्च, 2010 गुरुवार (एशियान्यूज़) मुम्बई का महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल
ऑस्वाल्ड ग्रेशियस ने कहा है कि ‘भारत के ईसाई बदला नहीं न्याय’ चाहते हैं। कार्डिनल
ग्रेशियस ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने अमेरिका की धर्माध्यक्षीय समिति के प्रतिनिधिमंडल
के सदस्यों को संबोधित किया। विदित हो अमेरिकी धर्माध्यक्षीय समिति द्वारा भेजा
गया प्रतिनिधिमंडल सन् 2008 में कंधमाल में हुए ईसाई विरोधी दंगों की जाँच के लिये
भारत के दौरे पर है। ज्ञात हो कि ईसाइयों पर धर्मपरिवर्तन के झूठे आरोप लगाकर धर्मसमाजियों
सहित लोकधर्मियों पर लगातार हमले किये गये थे। हमलावरों ने मकानों, गिरजाघरों, स्कूलों
तथा अन्य समाजसेवी संस्थाओं को ध्वस्त कर दिया था। इस ईसाई विरोधी दंगे में पाँच
हज़ार घरों को तहस-नहस कर दिया गया था। सरकारी सूत्रों के अनुसार 75 लोगों की मौतें हुईं
थी और करीब 50 हज़ार लोगों को जंगलों की शरण लेनी पड़ी थी। विदित हो कि इस हमले के
बाद अतिवादी हिन्दुओं के ख़िलाफ 3,322 मुकदमें दायर किये गये जिसमें 832 को अदालत ने
स्वीकार की और सिर्फ़ 89 मुकदमों के फैसले सुनाये गये हैं जिसमें अभियुक्तों को हल्की
सजा दी गयी थी। ग़ौरतलब है कि 251 दायर मुकदमों में अभियुक्तों को तुरन्त रिहा
कर दिया गया है। ग्लोबल कौंसिल ऑफ इंडियन कौंसिल के अध्यक्ष साजन जोर्ज ने अमेरिकी प्रतिनिधियों
पीडी जोन, जोन हचिसोन, एरिन वेस्टन, भलेरिया पैइने और विरजिनिया फर्रिस की अगवाई की।
साजन जोर्ज ने बताया कि उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को उदायगिरि, निलुंजिया, बकिंगा,
रायकिया, पिरिगाद और नौगाँव आदि स्थानों का दौरा कराया। विर्जिनिया फार्रिस ने एशियान्यूज़
को बताया कि उन्होंने कई ऐसे लोगों से मुलाक़ात की जो ईसाई-विरोधी दंगे के शिकार हुए
थे या सीधे रूप से प्रभावित हुए थे। ज्ञात हो कि सुश्री फर्रिस अमेरिकी काथलिक धर्मध्यक्षीय
समिति की विदेश नीति की सलाहकार है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने भारत के लिये अमेरिका के
राजदूत और स्थानीय काथलिक और प्रोटेस्टंट धर्मगुरुओं से भी मुलाक़ात की।