2010-03-17 13:21:59

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
17 मार्च, 2010


रोम, 17 मार्च, 2010। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा-


प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षामाला में हम मध्ययुगीन ख्रीस्तीय संस्कृति के बारे में चिन्तन करते संत बोनावेन्तुरा और उनके समकालीन संत थोमस अक्वीनास के जीवन पर मनन-चिंतन करें।

तेरहवीं शताब्दी में इन दोनों महान् ईशशास्त्रियों ने मिलकर समृद्ध ईशशास्त्र की विविधतओं को लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया।

संत थोमस अक्वीनास ने ईशशास्त्र को मुख्यतः सैद्धांतिक विज्ञान के रूप में प्रस्तुत किया और लोगों को यह बताया कि वे ईश्वर के बारे में ज्ञान कैसे प्राप्त कर सकते हैं।

वहीँ संत बोनावेंतुरा ने ईशशास्त्र को एक व्यवहारिक ज्ञान के रूप में देखा और लोगों को “प्रज्ञा” के बारे में बताया ताकि लोग ईश्वर को प्यार करें और उसी की इच्छा के अनुसार अपना जीवन बितायें।

संत थोमस की सत्य संबंधी बातें संत बोनावेंतुरा की प्रेम संबंधी बातों के लिये पूरक का कार्य करती हैं और दोनों मिल कर व्यक्ति के लिये एक संयुक्त लक्ष्य प्रस्तुत करती हैं।

एक फ्रांसिस्कन धर्मसमाजी के रूप में बोनावेंतुरा संत फ्रांसिस के समान प्रेम की प्राथमिकता पर बल देते हैं। इसके साथ वे दियोनिसियुस के ‘मिथ्या या आभासी ईशशास्त्र’ से भी प्रभावित होकर स्वर्गीय दूत समूहों की बात की जिससे लोगों को पवित्र तृत्त्व परमेश्वर से एक होने में मदद मिली।

संत बोनावेंतुरा को दियोनिसियुस के ‘मिथ्या ईशशास्त्र’ ने कूस के रहस्य पर चिन्तन करने में भी मदद पहुँचाया जिसपर विचार करते हुए व्यक्ति का मन ईश्वर से एक हो सकता है, उसमें तार्किक शक्ति का विकास हो सकता है और वह ईश्वरीय प्रेम के रहस्य को भली-भाँति समझ सकता है।

प्रार्थना के गुरु के रूप में संत बोनावेन्तुरा हमें आमंत्रित करते हैं कि हम प्रकृति पर मनन-चिन्तन करते हुए एक दिन हम ईश्वर के अनन्त प्रेम को प्राप्त कर सकते हैं।

इस के बाद संत पापा ने संत पात्रिक के पर्व दिवस के दिन लोगों को पर्व की शुभकामनायें देते हुए कहा, “मैं आप सबों से अपील करता हूँ कि आप प्रार्थना करें, पश्त्ताताप करें और अपने जीवन का नवीनीकरण करें। ”


इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने इंगलैंड, आयरलैंड, स्वीडेन, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।













All the contents on this site are copyrighted ©.