जबलपुरः धर्मान्तरण प्रकरण पर ख्रीस्तीयों ने मांगी प्रत्याशित ज़मानत
मध्यप्रदेश के सतना धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्ष सहित कुछ ख्रीस्तीयों ने उनके विरुद्ध
राज्य के धर्मान्तरण कानून के उल्लंघन का आरोप लगाये जाने के बाद प्रत्याशित ज़मानत की
मांग की।
सतना के धर्माध्यक्ष मैथ्यू वानियाकिज़ाकेल ने उनके तथा उनके सहयोगियों
के खिलाफ दर्ज़ मामले को खारिज कर कहा कि इसे जानबूझकर रचा गया षड़यंत्र बताया है।
धर्माध्यक्ष
ने ऊका समाचार को बताया कि मामला "समाज के कमजोर वर्गों की मदद करने में कलीसिया की भूमिका
के विरुद्ध प्रेरित अभियान का हिस्सा है।"
पुलिस ने, क्रिस्टफर पेवी नामक एक
ईसाई की शिकायत पर, धर्माध्यक्ष एवं उनके सहयोगियों के विरुद्ध, मध्यप्रदेश के धर्मान्तरण
विरोधी कानून के तहत अज़मानती मामला दर्ज़ किया था। इस कानून के तहत बल या प्रलोभन द्वारा
किसी को धर्म बदलने के लिये बाध्य करना अपराध है।
पेवी ने शिकायत की थी कि मई
सन् 2009 में विवाह से पूर्व एक महिला को ख्रीस्तीय बनाया गया था।
बहरहाल, महिला
के भाई, वकील नंद किशोर, का कहना है कि शिकायत झूठी है। उन्होंने कहा, "हमारा एक मजबूत
कैथोलिक परिवार है।" श्री किशोर ने ऊका समाचार से कहा कि उनका परिवार नियमित रूप से गिरजाघर
के धर्मविधिक समारोहों में शरीक होता है तथा उनकी बहन का विवाह ख्रीस्तीय परम्परा के
अनुसार ही सम्पन्न हुआ था।
धर्माध्यक्ष मैथ्यु के अनुसार कलीसिया केवल काथलिक
धर्मानुयायियों के बच्चों को बपतिस्मा देती है इसलिये धर्मान्तरण का सवाल ही नहीं उठता।
पुलिस अधिकारी शशांक गर्ग ने भी मामले की जाँच के बाद ऊका समाचार से कहा, "इस
मामले का कोई औचित्य नहीं था।"