नई दिल्ली, 12 मार्च, 2010 शनिवार (उकान) दलित ईसाइयों के लिये बने राष्ट्रीय आयोग के
अध्यक्ष जेस्विट फादर ए.एक्स. जे. बोस्को ने कहा है कि ईसाई समुदाय के लिये यह ज़रूरी
है कि वह सरकार को मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट को लागू कराने के लिये अपना दबाव बनाये रखे। उन्होंने
उक्त बातें उस समय कहीं जब वे पिछले सप्ताह दिल्ली में दलितों के अधिकारों पर विचार-विमर्श
के लिये एकत्र अंतर-कलीसियाई प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। सेमिनार की विषयवस्तु
दलित ईसाइयों के विरुद्ध सामाजिक एवं धार्मिक भेदभाव और इसके निदान पर केन्द्रित थी।
दलित ईसाइयों और अन्य कमजोर वर्ग लोगों के लिये बने सीबीसीआई आयोग के सचिव जी. कोसमोन
ने बताया कि सेमिनार का मुख्य़ उद्देश्य सरकार पर दबाव डालना था ताकि वह दलित ईसाइयों
के लिये आरक्षण का विस्तार करे। ग़ौरतलब है कि सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिये
खुद ही मिश्रा आयोग की स्थापना की थी। आयोग ने सरकार को अपनी रिपोर्ट में इस बात की स्पष्ट
सिफारिश की है कि ‘आरक्षण दलित ईसाइयों का अधिकार है’ फिर भी सरकार ढुलमुल नीति अपना
रही है। स्मरण रहे कि दिसंबर सन् 2009 में धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों की समस्याओँ
के समाधान के लिये सरकार ने एक सरकारी आयोग का गठन किया था जिसे रंगनाथ मिश्रा आयोग के
नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया सरकार दलित ईसाइयों और मुसलमानों को आरक्षण
का लाभ इस दलील पर नहीं दे रही है कि इन धर्मों में जाति प्रथा का प्रचलन नहीं है। दिल्ली
विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सतीश देशपांडे ने इस बात पर लोगों का ध्यान आकर्षित कराया
कि मुसलमानों में धनी और ग़रीबों के बीच बहुत अंतर नहीं है पर ईसाइयों के बीच धनी और
गरीबों के बीच गहरी खाई है इसीलिये दलितों के अधिकार का मुद्दा सरकार के समक्ष प्रभावशाली
ढंग से प्रस्तुत नहीं हो पा रहा है। सेमिनार में भाग ले रहे प्रतिभागियों ने अपनी
प्रतिबद्धता दुहराते हुए कहा कि वे राजनीतिज्ञों और सासंदो पर दबाव डालेंगे ताकि इसके
लिये जनसमर्थन प्राप्त हो सके।