2010-03-10 12:12:35

नई दिल्लीः महिला जाति के पक्ष में भारत का साहसिक कदम


दो दिनों के कोलाहल के बाद मंगलवार सन्ध्या राज्यसभा में 191 मतों से महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया। विधेयक के खिलाफ केवल एक मत पडा। विधेयक के अनुसार भारतीय संसद एवं विधान सभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिये आरक्षित रहेंगी। 108 वें संवैधानिक संशोधन के नाम से विख्यात, 14 वर्षों से विचाराधीन उक्त विधेयक को अब लोकसभा तथा देश की कम से कम 14 विधान सभाओं द्वारा पारित होना है। इसके बाद राष्ट्रपति के अनुमोदन मिलते ही लोकसभा एवं विधान सभाओं में 33 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण मिलने लगेगा।
क्राँग्रेस नेतृत्ववाली सत्तारूढ़ यू.पी.ए. सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव एवं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव विधेयक से सन्तुष्ट नहीं है तथा उन्होंने सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की है। उनका कहना है कि विधेयक केवल उच्च वर्ग एवं धनी वर्ग की महिलाओं को लाभ पहुँचायेगा जबकि इसमें दलित, मुसलमान एवं आदिवासी जाति की महिलाओं की अवहेलना कर दी गई है।
राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार यद्यपि उक्त दोनों दलों का सरकार से समर्थन वापस लेने का फ़ैसला यूपीए के लिए असुविधाजनक अवश्य है तथापि, संख्या के अनुसार, इससे सरकार के बहुमत पर असर नहीं पड़ेगा।
इस बीच, यूपीए की एक महत्वपूर्ण घटक ममता बैनर्जी भीं विधेयक से खुश नहीं हैं तथापि उन्होंने कहा है कि वे गठबंधन से अलग नहीं हो रही हैं। ममता बैनर्जी चाहती हैं कि विधेयक में मुसलमान महिलाओं के लिये अलग से प्रावधान बनाया जाये।








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