काथलिक धर्माध्यक्षों और पुरोहितों सहित कई गिरफ्तार
चेन्नई, 6 मार्च, 2010 शनिवार (उकान) चेन्नई में पुलिस ने काथलिक धर्माध्यक्षों और पुरोहितों
सहित अनेक प्रदर्शकारियों को उस समय गिरफ्तार किया जब उन्होंने दलितों ईसाइयों और मुसलिमों
के आरक्षण संबंधी माँग को लेकर रैली की। सीबीसीआई के दलित ईसाइयों के पक्ष में गठित
आयोग के सचिव फादर जी कोसमोन अरोक्यराज के अनुसार पुलिस ने मद्रास मैलापुर के महाधर्माध्यक्ष
ए.एम चिन्नप्पा और कई अन्य धर्माध्यक्षों को हिरासत में ले लिया है। फादर आरोक्यराज
ने बताया कि दलित ईसाइयों के आरक्षण के लिये 10 फरवरी को कन्याकुमारी में आरंभ की गयी
रैली जब अपने कार्यक्रम के अनुसार चेन्नय पहुँची तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
रैली के संयोजकों की आशा थी कि रैली के समापन में भीड़ उमड़ पड़ेगी और वे सरकार पर
दलित ईसाइयों को आरक्षण देने के लिये दबाव डालेंगे। फादर आरोक्यराज ने बताया कि मुख्य
मंत्री भी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के लिये राजी नहीं थे। ईसाई नेताओं ने माँग की है
कि राज्य और केन्द्र सरकार दोनों ही रंगनाथ मिश्र की रिपोर्ट लागू करे और दलित ईसाई और
मुसलिमों को आरक्षण प्रदान करे। तमिलनाडू धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष
चिन्नप्पा ने इस बात पर चिन्ता जतायी है कि सरकार मिश्रा रिपोर्ट को लागू करने में ढ़ुलमुल
नीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि मिश्रा रिपोर्ट में इस बात को स्पष्ट रूप से कहा
गया है कि दलित ईसाइयों और दलित मुसलिमों को आरक्षण नहीं देना धर्म के आधार पर भेदभाव
है और भारतीय संविधान के विरुद्ध है। भारतीय संविधान इस बात की गारंटी देता है कि
ग़रीब तबके के लोगों दलितों और पीड़ितो को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण का अधिकार है।
पर दलित ईसाइयों और मुसलिमों को इस अधिकार से 60 सालों तक वंचित कर रखा गया। प्रतिनिधियों
ने माँग की है कि सरकार रंगनाथ मिश्रा रिपोर्ट लागू करे और दलित ईसाइयों और मुसलमानों
को भी बिना भेदभाव के आरक्षण की सुविधा दे। उन्होंने कहा कि वे सन् 1950 ईस्वी के
संवैधानिक निर्दश विरोध करते हैं जिसने आरक्षण की सुविधा को सिर्फ़ हिन्दुओं तक सीमत
कर दिया है। बाद में इसे संशोधित किया और बौद्ध और सिक्खों को भी इसमें जोड़ दिया
गया पर ईसाइयों और मुसलमनों को आज तक इससे वंचित रखा गया है।