2010-03-01 16:25:53

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ रविवार 28 फरवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वे ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

यहाँ इस प्रेरितिक प्रासाद में कल हमने पारम्परिक आध्यात्मिक साधना समाप्त किया जो चालीसाकाल के आरम्भ में वाटिकन में आयोजित किया जाता है। मैंने और रोमी कार्यालय में मेरे सहयोगियों ने इन दिनों को कलीसिया द्वारा मनाये जा रहे पुरोहितों के वर्ष के अवसर पर पौरोहितिक बुलाहट पर विचार करते हुए गहन प्रार्थना और मनन चिंतन में व्यतीत किया। मैं उन सबलोगों को धन्यवाद देता हूँ जो आध्यात्मिक रूप से हमारे समीप रहे।

चालीसाकाल के इस दूसरे रविवार की पूजनधर्मविधि में रूपान्तरण की घटना की प्रमुखता है जो संत लूकस के सुसमाचार में येसु के इस निमंत्रण के तुरंत बाद आती है- जो मेरा अनुसरण करना चाहता है वह आत्मत्याग करे और प्रतिदिन अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे चले। रूपान्तरण की यह घटना येसु का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहन है।

संत लूकस रूपान्तरण के बारे में नहीं कहते हैं लेकिन दो तत्वों के द्वारा क्या हुआ इसका विवरण देते हैं। संहिता और नबियों के प्रतीक मूसा और एलियास की उपस्थिति में येसु के मुखमंडल का रूपान्तरण हो गया और उनके वस्त्र उज्ज्वल होकर जगमगा उठे। तीन शिष्य जो इस दृ्श्य के गवाह हैं ऊंघ रहे थे। यह उनलोगों की मनोवृत्ति है जो यद्यपि दिव्य घटनाओं के दर्शक हैं लेकिन कुछ भी नहीं समझते हैं। निष्क्रियता के खिलाफ संघर्ष ही पेत्रुस, जेम्स और योहन को येसु की महिमा देखने के लिए समर्थ बनाता है।

मूसा और एलियस के चले जाने के बाद पेत्रुस कहता है और जब वह कह रहा है एक बादल उसे और अन्य शिष्यों को अपनी छाया से ढँक लेता है। यह बादल जो हालाँकि छिपा देता है फिर भी ईश्वर की महिमा प्रकट करता है जैसा कि इस्राएली प्रजा के साथ मरूभूमि में तीर्थयात्रा करते हुए हुआ। आँखे देख नहीं सकती हैं लेकिन बादल से आती हुई आवाज को कान से सुनते हैं। यह मेरा पुत्र है मेरा चुना हुआ जन है इसकी सुनो।

शिष्यों के सामने रूपान्तरित चेहरा नहीं है न ही चमकता वस्त्र, न ही बादल जो दिव्य उपस्थिति को प्रकट करता है। उनकी आँखों के सामने केवल येसु हैं। येसु प्रार्थना करते समय पिता के सामने अकेले हैं लेकिन उसी क्षण येसु सबकुछ हैं जो सब काल के शिष्यों के लिए दिये गये हैं। यह वे हैं जो यात्रा के लिए पर्याप्त हैं। वे ही एकमात्र आवाज हैं जिसे सुना जाना चाहिए, जिनका अनुसरण किया जाना चाहिए, जो येरूसालेम जा रहे हैं, जो अपना जीवन दे देंगे और एक दिन हमारे तुच्छ शरीर का रूपान्तरण करेंगे और उसे अपने महिमामय शरीर के अनुरूप बना देंगे।

गुरूवर यहाँ होना हमारे लिए कितना अच्छा है संत पेत्रुस के ये भावप्रवण शब्द बहुधा प्रभु की सांत्वना प्राप्त होने से पहले की हमारी इच्छा के सदृश हैं। लेकिन रूपान्तरण हमें स्मरण कराता है कि ईश्वर द्वारा हमारे जीवन में लायी गयी खुशी अंतिम लक्ष्य नहीं हैं लेकिन वे तो अनन्त नियति के पथ में प्रकाश हैं। केवल येसु ही हमारा विधान हैं और उनके शब्द वह मापदंड जो हमारे अस्तित्व को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

चालीसाकाल के इस समय में मैं प्रत्येक जन को सुसमाचार पर गहन मनन चिंतन करने के लिए आमंत्रित करता हूँ। मेरी आशा है कि पुरोहितों के इस वर्ष में पुरोहितगण वास्तव में ईशवचन से भर जायें ताकि वे वास्तव में जानें कि वे इस बिन्दु तक प्रेम करें कि यह वास्तव में उन्हें जीवन देता तथा उनके विचारों की रचना करता है।

कुँवारी माता मरियम हमें सहायता करें कि प्रभु से साथ हमारे साक्षाक्तार के पलों को प्रबलता से जी सकें और प्रतिदिन हम सानन्द उनका अनुसरण कर सकें। मरियम की ओर हम अपनी दृष्टि फेरते हैं और देवदूत संदेश प्रार्थना के द्वारा उनकी मध्यस्थता की याचना करते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।







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