2010-02-26 16:41:04

हिंसा- धर्माध्यक्षों के लिए जागने का आह्वान


भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव महाधर्माध्यक्ष स्तानिलस्लास फेरनानडेज ने सीबीसीआई की 29 वीं पूर्णकालिक सभा के आरम्भिक सत्र में प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए को कहा कि विगत दो वर्षों में हुई ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा भारत में कलीसिया को जगाने का आह्वान था। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों को सुरक्षित समझा जाता था वहाँ चरमपंथी समूहों ने हिंसा मचाई इसे देखते हुए एवं हिंसा के प्रभावों को महसूस करते हुए कलीसियाई नेताओं और अन्य लोगों को बहुत धक्का लगा। अनेक राज्यों में ख्रीस्तीयों के खिलाफ हुए हमले विशेष कर उड़ीसा में हुई हिंसा ने भारतीय धर्माध्यक्षों को एक विशेष समिति बनाने की जरूरत का अहसास कराया जो धर्म प्रचार की पद्धतियों का पुनरावलोकन करे। महाधर्माध्यक्ष फर्नाडिस ने कहा कि ख्रीस्तीयों और मसीही संस्थानों पर किये गये हमले पूर्वनियोजित हमले थे। मानवीय संबंधों को बिगाड़नेवाला षडयंत्र बहुत ही घृणास्पद था, इसने समुदायों को विभाजित करने का प्रयास किया। उड़ीसा में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के प्रति स्थानीय सरकार की उदासीनता तथा कुछेक हद तक मिलीभगत होने से हमलावरों को प्रोत्साहन मिला। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि हिंसा के कुछेक सकारात्मक परिणाम भी मिले। भारत के ख्रीस्तीय समुदाय प्रताडि़त भाईयों की सहायता करने के लिए सामने आये और भौतिक एवं मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराया। उन्होंने शहीदों की सराहना की जिन्होंने अपने मसीही विश्वास के लिए जान दे दिया। महाधर्माध्यक्ष स्तानिस्लास ने शांति और स्वतंत्रता के माहौल में मसीहियों के धर्मपालन के अधिकार की रक्षा करनेवाले अन्य धर्मों के लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमलों की पृष्टभूमि में विशेष समिति का गठन किया गया है जो कलीसिया के सामने प्रस्तुत विभिन्न चुनौतियों का अध्ययन कर उपयुक्त कदम उठाने का सीबीसीआई के सचिव को परामर्श देगी। रिपोर्ट में कहा गया कि सन 2008 में वाटिकन में संत अल्फोंसा की संत घोषणा समारोह से भारतीय चर्च को कुछ सांत्वना मिली। दूसरी महत्वपूर्ण घटना अक्तूबर 2009 में भारतीय मिशन महोत्सव का आयोजन था जिसमें विभिन्न धर्मप्रांतो से लगभग 1300 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।








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