2010-02-22 15:39:21

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ रविवार 21 फरवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वे ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
पिछले बुधवार हमने पश्चाताप संबंधी राखबुध की धर्मविधि के साथ चालीसाकाल आरम्भ किया। यह अवधि पास्का के वार्षिक समारोह की तैयारी के लिए आध्यात्मिक नवीनीकरण का समय है। चालीसाकालीन यात्रा में प्रवेश करने का क्या अर्थ है

चालीसाकाल के इस पहले रविवार का सुसमाचार पाठ दिखाता है कि मरूभूमि में येसु की परीक्षा ली जाती है। सुसमाचार लेखक संत लूकस बताते हैं कि संत योहन से बपतिस्मा प्राप्त कर येसु पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गये और वे यर्दन तट से चल पड़े। उन्हें आत्मा 40 दिनों के लिए मरूभूमि में ले गया और शैतान ने उनकी परीक्षा ली। यह प्रत्यक्ष है इस तथ्य पर बल दिया गया है कि प्रलोभन आना कोई अनहोनी बात नहीं थी लेकिन पिता द्वारा दिये गये मिशन को पूरा करने के लिए येसु द्वारा किये गये चयन का परिणाम थे, ईश्वर का प्रियपुत्र होने की सच्चाई को पूर्ण रूप से स्वीकार करना जो पिता को अपना सर्वस्व अर्पित कर देता है। येसु ख्रीस्त इस दुनिया में आये ताकि हमें पाप और ईश्वर रहित जीवन जीने की योजना बनाने के खतरनाक आकर्षण से स्वतंत्र कर सकें। ऐसा उन्होंने बड़ी बड़ी घोषणाओं को करके नहीं किया बल्कि प्रलोभन देनेवाले के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से यहाँ तक कि क्रूस तक संघर्ष किया। यह एक उदाहरण है जो सबके लिए है। संसार बेहतर होता है जब सुधार हममें से ही आरम्भ होता है। हमारे जीवन में जो सही नहीं है उसे ईश्वर की कृपा से ठीक करते हैं। तीन प्रलोभनों क जिसे शैतान येसु के सामने प्रस्ताव करता है प्रथम भूख से जुड़ा है शारीरिक जरूरत से। यदि तुम ईश्वर के पुत्र हो तो इस पत्थर को आदेश दो कि रोटी बन जाये। लेकिन येसु पवित्र धर्मग्रंथ के आधार पर जवाब देते हैं- मनुष्य केवल रोटी से नहीं जीता है। इसके बाद शैतान येसु को संसार का राज्य दिखाता है और कहता है- यह सब तुम्हारा हो जायेगा यदि तुम मेरे चरणों में गिरकर मेरी आराधना करो। यह ताकत का धोखा है। इस प्रलोभन को येसु यह कहते हुए खारिज करते हैं- अपने प्रभु ईश्वर की आराधना करो और केवल उसी की सेवा करो। ताकत की आराधना नहीं करनी है लेकिन केवल ईश्वर की जो सत्य और प्रेम हैं। अंततः प्रलोभन देनेवाला येसु को चमत्कार करने का प्रस्ताव देता है कि वे ऊँचाई से नीचे कूद जायें और दूत उसकी रक्षा करेंगे लेकिन येसु जवाब देते हैं- अपने प्रभु ईश्वर की परीक्षा मत लो।



हमें कभी कोई ऐसा प्रयोग नहीं करना चाहिए जिसमें ईश्वर को जवाब देना पड़े और यह दिखायें कि वे ईश्वर हैं। हमें उनपर विश्वास करनी चाहिए। हमें अपने प्रयोग के लिए ईश्वर को कोई भौतिक वस्तु नहीं बनाना चाहिए। धर्मग्रंथ का संदर्भ देते हुए मानवीय कसौटी को केवल यथार्थ कसौटी मानने का विरोध करते हैं। आज्ञाकारिता, ईश्वर की इच्छा के साथ तालमेल ही हमारे अस्तित्व की बुनियाद है। यही हमारे लिए भी आधारभूत शिक्षा है। यदि हम ईश्वर के वचन को अपने मन और दिल में धारण करते हैं, यदि यह हमारे जीवन में प्रवेश करता है, यदि हमारा ईश्वर पर विश्वास है तो हम शैतान के किसी भी प्रलोभन से इंकार कर सकते हैं। इससे बढ़कर इस कथा से येसु ख्रीस्त की नये आदम, ईशपुत्र वाली छवि सामने आती है जो विनम्र हैं और पिता के प्रति आज्ञाकारी हैं न कि आदम और हेवा की तरह जिन्होंने अदन वाटिका में शैतान के प्रलोभनों को माना कि वे ईश्वर के बिना अमर हो सकते हैं।

चालीसाकाल लम्बी आध्यात्मिक साधना है जिसके दौरान हम अपनी ओर लौटते हैं तथा बुराई के प्रलोभनों पर विजय पाने के लिए ईश्वर के वचन को सुनते हैं और अपने अस्तित्व की सच्चाई को पाते हैं। हम कह सकते हैं यह समय है घमंड और पूर्वाग्रहों से साथ नहीं रहने का लेकिन येसु के साथ रहने की आध्यात्मिक प्रतियोगिता का। विश्वास के शस्त्रों अर्थात प्रार्थना, ईशवचन का श्रवण और त्याग, तपस्या का उपयोग करना। इस तरह हम वास्तव में पास्का पर्व मना सकेंगे, हमारे बपतिस्मा की प्रतिज्ञाओं को नवीकृत कर सकेंगे। कुँवारी माता मरियम हमारी सहायता करें ताकि पवित्र आत्मा से मार्गदर्शन पाकर हम कृपा के इस समय को आनन्द पूर्वक जी सकें और फल उत्पन्न करें। मरियम विशेष रूप से मेरे और रोमी कार्यालय में कार्य़रत मेरे सहयोगियों के लिए मध्यस्थता करें जो इस संध्या आध्यात्मिक साधना आरम्भ कर रहे हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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