2010-02-19 15:59:40

पुरोहिताई पेशा नहीं सहानुभूति से पूर्ण जीवन है


संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रोम धर्मप्रांत के पुरोहितों को गुरूवार 18 फरवरी को वाटिकन में सम्बोधित करते हुए कहा कि पुरोहिताई काम या पेशा नहीं है जिसे एक व्यक्ति प्रतिदिन कुछ घंटों में पूरा करता है लेकिन यह एक जीवन शैली है जो ईश्वर और पीडित मानवजाति के मध्य सेतु के समान सेवा उपलब्ध कराने पर केन्द्रित है। पुरोहितों का आह्वान केवल पवित्र मनन चिंतन करने में नहीं लेकिन ख्रीस्त के समान मानवीय त्रासदी की परिस्थिति में प्रवेश करने, पीड़ा भोग रहे लोगों के पास जाने तथा उनके दुःख में सहभागी होने में है। इब्रानियों के नाम पत्र से पुरोहिताई के रहस्य पर चुने गये पाठ पर प्रार्थनापूर्ण पठन और चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि पुरोहितों को बुलाया जाता है कि वे मानवजाति तथा ईश्वर के मध्य सच्चे मध्यस्थ बनें ताकि वे पूर्ण रूप से ईश्वर के प्रति समर्पित रहें और चिंता़, खुशी और अन्यों के दुःख के सामने पूरी तरह मानवीय और गहन सहानुभूतिवाले बनें। संत पापा ने कहा कि उक्त बाइबिल पाठ में येसु को महापुरोहित कहने की व्याख्या इस बात को स्पष्ट कहती है कि येसु ख्रीस्त ने ईश्वर को पूर्ण बलिदान चढ़ाया। उन्होंने मानवजाति के पापों के लिए स्वेच्छापूर्वक अपना जीवन अर्पित कर दिया तथा संसार के दुःखों के लिए अपने आँसूओं को ईश्वर को अर्पित कर दिया।







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