2010-02-15 14:58:52

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ रविवार 14 फरवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वे ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

पूजनधर्मविधि वर्ष विश्वास की महान यात्रा है जिसपर कलीसिया चलती है और इसमें कुँवारी माता मरियम हमेशा सबसे आगे रहती हैं। इस वर्ष सामान्यकाल के रविवारों में संत लूकस रचित सुसमाचार से लिये गये पाठ इस यात्रा को दिखाते हैं। इस सुसमाचार से लिया गया आज का पाठ हमें ले चलता है भूमि में जहाँ येसु 12 शिष्यों के साथ रूकते हैं। उन्हें सुनने के लिए अन्य शिष्यों की भीड़ तथा हर क्षेत्र के लोग जमा होते हैं। इसी संदर्भ में आशीर्वचन की उदघोषणा होती है। येसु कहते हैं- धन्य हो तुम जो दरिद्र हो, धन्य हो तुम जो अभी भूखे हो, धन्य हो तुम जो अभी रोते हो, धन्य हो तुम जब लोग तुम से बैर करते हैं और मेरे नाम के कारण तुम्हारा बहिष्कार करते हैं। वे क्यों उन्हें धन्य कहते हैं। क्यों ईश्वर का न्याय देखेगा कि वे संतुष्ट हों, आनन्दित हों और हर झूठे दोषारोपण के लिए क्षतिपूर्ति की जाएगी अर्थात क्यों उन्हें अपने राज्य में स्वागत करेंगे। आशीर्वचन, दिव्य न्याय के अस्तित्व पर आधारित हैं जो उनलोगों को ऊपर उठाता है जिन्हें गलत तरीके से अपमानित किया गया है तथा उन्हें नीचे गिराता है जिनकी प्रशंसा की गयी है। वास्तव में सुसमाचार लेखक संत लूकस चार कृपाओं के बाद चार धिक्कारों को जोड़ते हैं- धिक्कार तुम जो धनी हो, धिक्कार तुम्हें जो अभी तृप्त हो धिक्कार तुम्हे जो अभी हँसते हो और धिक्कार तुम्हें जब सबलोग तुम्हारी प्रशंसा करते हैं क्योंकि येसु कहते हैं परिस्थितियाँ बदल दी जायेंगी जो पिछले हैं अगले हो जायेंगे और जो अगले हैं पिछले हो जायेंगे।

यह न्याय और यह आशीर्वचन स्वर्ग के राज्य या ईश्वर के राज्य में साकार होगा जो समय के अंत में पूरा होगा लेकिन यह इतिहास में उपस्थित है। जहाँ निर्धनों को सांत्वना दी जाती है और जीवन भोज में शामिल किया जाता है वहाँ ईश्वर का न्याय प्रदर्शित होता है। यह वह काम है जिसे अभी भी वर्तमान समाज में करने के लिए येसु के शिष्यों को बुलाया गया है। रोम के टरमिनी स्टेशन के पास कारितास द्वारा चलाये जा रहे हास्टेल का मैं स्मरण कर रहा हूँ जिसे इस सुबह मैंने देखा। इस प्रकार के अनमोल संस्थान में तथा संसार के सब भागों में ऐसे संस्थानों में काम करनेवालों को मैं ह्दय से प्रोत्साहन देता हूँ जो इस प्रकार के न्याय और प्रेम के कार्यों में स्वतंत्र रूप से शामिल होते हैं। बुधवार जिसे हम राख बुध कहते हैं इस दिन से आरम्भ हो रहे इस वर्ष के चालीसाकाल के लिए मेरे संदेश का विषय मैंने न्याय को चुना है। इसे आज मैं सबलोगों को अर्पित करना चाहता हूँ सबलोगों को इसे पढ़ने और इस पर मनन चिंतन करने के लिए आमंत्रित करता हूँ। येसु का सुसमाचार मानव के अंदर न्याय के लिए विद्यमान प्यास का अनापेक्षित और विस्मयकारी तरीके से सकारात्मक प्रत्युत्तर देता है। येसु सामाजिक या राजनैतिक प्रकार की क्रांति का प्रस्ताव नहीं करते हैं लेकिन यह प्रेम का है, जिसे उन्होंने अपने क्रूस और अपने पुनरूत्थान के द्वारा साकार किया है। इन पर आशीर्वचन आधारित हैं जो ईस्टर द्वारा आरम्भ किये गये न्याय के एक नये क्षितिज का प्रस्ताव करता है और जिसके द्वारा हम न्यायी बन बेहतर विश्व का निर्माण कर सकते हैं।

प्रिय मित्रो, हम कुँवारी मरिया की ओर मुखातिब हों। सब पीढ़ियां उन्हें धन्य कहती है क्योंकि उन्होंने प्रभु द्वारा उदघोषित शुभ संदेश पर विश्वास किया। चालीसाकाल की यात्रा में हम स्वयं को उनके द्वारा संचालित होने दें, आत्म पर्याप्तता के भ्रम से मुक्त होने दें यह पहचानें कि हमें ईश्वर, उनकी दया की जरूरत है और इस तरह न्याय, प्रेम और शांति के उनके राज्य में प्रवेश कर सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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