2010-02-13 19:42:39

साम्यवादी प्रशासन दमन चक्र से बच निकले लोग अन्य फन्दों में फँस रहे हैं, बेनेडिक्ट 16 वें की चेतावनी



वाटिकन सिटी, 13फरवरी, 2010 शनिवार (ज़ेनित): रोमानिया और मोलदोवा से कलीसिया के परमाध्यक्ष के साथ अपनी पंचवर्षीय़ पारम्परिक मुलाकात हेतु रोम आये काथलिक धर्माध्यक्षों ने शुक्रवार को वाटिकन में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का साक्षात्कार किया।

इन्हें सम्बोधित कर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा कि दक्षिण-पूर्वी यूरोप के काथलिक परिवारों ने सुसमाचार का साक्ष्य प्रदान करने के लिये कई बलिदान किये हैं किन्तु आज वे खुद धर्म के प्रति उदासीनता के शिकार होते जा रहे हैं।

देश के पुरोहितों की देखरेख के महत्व पर बल देते हुए संत पापा ने कहा कि पुरोहितों और धर्मसमाजियों की बुलाहट मूलतः काथलिक परिवारों की धार्मिक और नैतिक सुदृढ़ता पर निर्भर रहा करती है।

संत पापा ने आगे कहा कि एक समय ऐसा था जब काथलिक परिवारों ने सुसमाचार का साक्ष्य देने के लिये ऊँची क़ीमत चुकाई था पर आज वे गर्भपात, भ्रष्टाचार, नशीली वस्तुओं के सेवन एवं तस्करी जैसे भयंकर सामाजिक अपराधों से अछूते नहीं हैं। ये बुराईयाँ मानव मर्यादा के विरुद्ध हैं। इन सब बुराइयों को दूर करने के लिये सन्त पापा ने वैवाहिक और पारिवारिक जीवन की तैयारी पर पर्याप्त ध्यान दिया जाना आवश्यक बताया।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को परामर्श दिया कि वे ख्रीस्तीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना करें जहाँ युवाओं को, अपने देश के वातावरण के अनुसार, उचित मूल्यों को सिखाया जा सके ताकि वे अपने जीवनयापन द्वारा उन मूल्यों का साक्ष्य प्रदान कर सकें।

संत पापा ने इस बात को स्वीकारा कि औद्योगिक क्रांति, आर्थिक मंदी और उसके कारण हुए पलायन ने परंपरागत पारिवारिक मूल्यों पर प्रतिकूल प्रभाव छोड़ा है। आज उन मूल्यों को फ़िर से सीखने और उन्हें बरकरार रखे जाने की ज़रूरत है।

संत पापा ने कहा कि इसके लिये यह भी ज़रूरी है कि दक्षिण-पूर्वी यूरोपीय राष्टों के काथलिक और ऑर्थोडॉक्स समुदाय एक साथ मिल कर कार्य करे।

विदित हो रोमानिया के 87 प्रतिशत और मोलदोवा के 98 प्रतिशत लोग ऑर्थोडॉक्स ख्रीस्तीय कलीसिया के सदस्य हैं।

संत पापा ने कहा है कि काथलिकों और ऑर्थोडॉक्स के बीच सकारात्मक वार्ता न केवल आपसी एकता के लिये लाभदायक सिद्ध होगी अपितु इसका व्यापक प्रभाव पूरे यूरोप में भी अनुभव किया जा सकेगा।

इस सन्दर्भ में, संत पापा ने स्वर्गीय संत पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा सन् 1999 में सम्पन्न रोमानिया यात्रा की याद की, जिसने दोनों समुदायों में एकता की इच्छा को जागृत किया था। उन्होंने आशा व्यक्त की कि वही ‘नेक इच्छा’, प्रार्थना और समर्पण के सहारे, वार्ता का रूप धारण कर न्याय व शांति की स्थापना कर सकेगी।













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