काथलिक कलीसिया ने 11 फरवरी को लूर्द की माँ मरिया का समारोही पर्व मनाया। इस दिन कलीसिया
ने रोगियों का 18 वाँ विश्व दिवस भी मनाया। संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें इस अवसर पर वाटिकन
स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग के दौरान प्रवचन करते हुए कहा कि चर्च को
ख्रीस्त के मिशन का प्रसार करने का दायित्व मिला है। वह सुसमाचार प्रचार और बीमारों की
चिकित्सा प्रेरिताई से इंकार नहीं कर सकती है। संत मारकुस रचित सुसमाचार में हम पाते
हैं कि ईश्वर व्यक्ति को सम्पूर्ण रूप से चंगा करना चाहते हैं जहाँ पापों की क्षमा के
साथ ही शारीरिक चंगाई सम्मिलित है। संत पापा ने कहा कि माता मरियम की स्तुति रोगियों
का स्वास्थ्य के रूप में की जाती है। यह तथ्य इस बात से जाहिर है कि सैकड़ो लोग मरियम
तीर्थालयों की भेट करते और ख्रीस्त की माता से याचना कर साहस और राहत प्राप्त करते हैं।
संत पापा ने आगे कहा कि 25 वर्ष पूर्व चिकित्सा प्रेरिताई संबंधी परमधर्मपीठीय समिति
की स्थापना संत पापा जोन पौल द्वितीय ने की थी जो बीमारों के प्रति इसी चिंता की विशिष्ट
अभिव्यक्ति है। कलीसिया के मातृत्व के बारे में नबी इसायस कहते हैं - जिस तरह माँ अपने
पुत्र को दिलासा देती है उसी तरह मैं तुम्हें सांत्वना दूँगा तुम्हें येरूसालेम से दिलासा
मिलेगा। लूर्द में माँ मरियम के दर्शनों के बारे में संत पापा ने कहा कि यह वह स्थान
है जिसे मरियम ने बीमारों और असहायों के प्रति ममतामयी करूणा को दिखाने के लिए चुना इसकी
व्याख्या मरियम का भजन में की गयी है। संत याकूब के पत्र से बीमारों पर तेल लेपण का संदर्भ
देते हुए संत पापा ने कहा कि पुरोहितों को समर्पित वर्ष में वे बीमारों तथा पुरोहितों
के मध्य जो सम्पर्क है इसपर बल देना चाहते हैं। यह एक प्रकार का गठबंधन है जो सुसमाचार
प्रचार से जुड़ा है। बीमार लोग पुरोहितो को बुलायें तथा पुरोहित भी जवाब दें। दोनों के
लिए काम है कि बीमारी की उपस्थिति तथा पुर्नजीवित ख्रीस्त और उनकी आत्मा के कार्य़ से
प्राप्त अनुभवों से बल प्राप्त करें। प्रेरितिक पत्र सालविफिची दोलोरिस में कहे गये संत
पापा जोन पौल द्वितीय के शब्दों को उद्धृत करते हुए संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त ने मनुष्य
को अपनी पीड़ा से भला करने तथा जो पीडि़त हैं उनके प्रति भलाई करने को सिखाया। उन्होंने
इन दो पहलूओं में पीड़ा के अर्थ को पूरी तरह से प्रकट किया है।