2010-02-08 15:26:07

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 7 फरवरी को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में उपस्थित देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना से पूर्व विश्वासियों को इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहाः

अति प्रिय भाईयो और बहनो,

सामान्यकाल के पाँचवें रविवार के लिए पूजनधर्मविधि हमारे सामने दिव्य बुलावा का शीर्षक रखती है। एक दर्शन में नबी इसायस स्वयं को पवित्रतम प्रभु की उपस्थिति में पाते हैं। वे गहन भय से भर जाते हैं तथा अपनी अयोग्यता को महसूस करते हैं। लेकिन एक सेराफिम अंगार से उसके होंठों का स्पर्श कर उसको शुद्ध कर देता है और उसे बुलावा का जवाब देने के लिए तैयार करता है- प्रभु, मैं प्रस्तुत हूँ, मुझको भेज।

भावनाओं का यह क्रम मछलियों को पकड़ने के दृष्टान्त में दिखाई देता है जिसके बारे में आज का सुसमाचार पाठ कहता है। रात भर के असफल प्रयास के बाद जाल डालने के लिए आमंत्रित किये जाने पर, सिमोन पेत्रुस और अन्य शिष्यों ने येसु के वचन पर विश्वास करते हुए जाल डाला और बहुत अधिक मछलियाँ पकड़ीं। इस अप्रत्याशित उपलब्धि पर खुशी प्रकट करने के लिए सिमोन पेत्रुस येसु के सामने अपनी बाँहैं नहीं फैलाता है लेकिन सुसमाचार लेखक संत लुकस लिखते हैं कि वह अपने घुटने के बल गिरकर कहता है- प्रभु मेरे पास से चले जाइए, मैं तो पापी मनुष्य हूँ। तब येसु ने सिमोन से कहा- डरो मत, अब से तुम मनुष्यों को पकड़ा करोगे। और पेत्रुस अपना सबकुछ छोड़कर ईसा के पीछे हो लिया।

संत पौलुस भी, यह जानते हुए कि वे कलीसिया पर अत्याचार करनेवाले थे, यह स्वीकार करते हैं कि वे भी प्रेरित बनने के लिए बुलाये जाने के योग्य नहीं है लेकिन यह भी पहचानते हैं कि ईश्वर की कृपा ने उनमें महान चमत्कार किया है, उनकी कमजोरियों के बावजूद उन्हें काम सौंपा और सुसमाचार प्रचार करने का सम्मान दिया। इन तीन अनुभवों में हम देखते हैं कि कैसे ईश्वर के साथ होनेवाला यथार्थ साक्षात्कार मनुष्य को उसकी निर्धनता और अपर्याप्त होने, उसकी कमजोरियों और उसके पाप को पहचानने में सक्षम बनाता है। लेकिन यह भंगुरता, प्रभु जो दया और क्षमा देने में धनी हैं मानव के जीवन को बदल देते हैं, उसे अपना अनुसरण करने के लिए बुलाते हैं।

नबी इसायस, संत पेत्रुस और संत पौलुस जिस विनम्रता की साक्षी देते हैं यह उन सबलोगों को आमंत्रित करता है जिन्हें दिव्य बुलावे का वरदान मिला है कि वे अपनी कमजोरियों पर ही ध्यान केन्द्रित नहीं करें लेकिन प्रभु पर तथा उनकी अपरम्पार दया पर अपनी दृष्टि जमाये रहें, मनपरिवर्तन करें और आनन्दपूर्वक उनके लिए सबकुछ छोड़ दें। ईश्वर वास्तव में उन चीजों पर विचार नहीं करते हैं जिन्हें मनुष्य महत्वपूर्ण मानता है। मनुष्य तो बाहरी रंग रूप देखता है किन्तु प्रभु ह्दय देखता है तथा लोग जो गरीब और कमजोर हैं लेकिन ईश्वर पर विश्वास करते हैं उन्हें वे प्रेरित और मुक्ति के उदघोषक बनाते हैं।

पुरोहितों को समर्पित इस वर्ष में हम फसल के स्वामी ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे अपनी खेत में काम करने के लिए मजदूरों को भेजें। हम प्रार्थना करें कि जो लोग उनका अनुसरण करने के निमंत्रण को सुनते हैं, पर्य़ाप्त मनन चिंतन के बाद यह जानें कि उदारतापूर्वक कैसे उन्हें जवाब दें, अपनी ताकत पर भरोसा करते हुए नहीं लेकिन उनकी कृपा के लिए स्वयं को खोलें। विशिष्ट रूप से मैं सब पुरोहितों को आमंत्रित करता हूँ कि अपनी विनम्र उपलब्धता को नवीकृत करें ताकि प्रतिदिन ईश्वर के बुलावे का वे इसायस, पेत्रुस और पौलुस के समान उसी विनम्रता और विश्वास के साथ प्रत्युत्तर दे सकें। सब बुलाहटों, विशेषकर धर्मसमाजी और पौरोहित्य जीवन को हम पवित्र कुँवारी माता मरियम के सिपु्र्द करते हैं। मरियम हर व्यक्ति में यह इच्छा जगायें कि खुशी और पूर्ण समर्पण के भाव में वे प्रभु को अपना सकारात्मक जवाब दें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।







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