2010-02-05 16:16:07

हैती में न्याय पर आधारित नये समाज की रचना करने की एपील


ROME (CNS) -- हैती कारितास के अध्यक्ष ने कहा है कि पोर्ट औउ प्रिंस और इसके समीपवर्ती इलाकों में भूकम्प से हुई त्रासदीपूर्ण विनाश हैती और सम्पूर्ण विश्व के लिए ्वसर देता है कि देश का पुर्ननिर्माण किया जाये जो गरीबी और पूर्वाग्रहों से मुक्त हो तथा न्याय और सहानुभूति पर आधारित है। अन्से अ वियाऊ एट मिरागोआन के धर्माध्यक्ष पियेर आन्द्रे दुमास ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हुए कहा है कि जो राहत सहायता उपलब्ध कराई जा रही हैं वे और अधिक मानवीय तौर तरीके से दिये जायें जो मानव की प्रतिष्ठा का सम्मान करे तथा स्वार्थ, राजनीति और लाभ हानि के जोड़ घटाव के आंकलन से मुक्त हो। रोम में संत एजेदियो समुदाय द्वारा आयोजित समारोह को 3 फरवरी को उन्होंने सम्बोधित किया। यह समुदाय हैती सहित विश्व के अन्य भागों में शांति और विकास की योजनाओं को समर्थन प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि यदि एक दुनिया न्ष्ट हो गयी है तो नयी दुनिया बनानी है जो सहानुभूति और सहदयता पर आधारित हो। उन्होंने कहा कि पुर्ननिर्माण के लिए पुराने तरीकों को नहीं अपनाया जा सकता है जिसमें देश को छोड़ दिया जाता है लोग झुग्गी झोपड़ी में जीते हैं और हम ऐसा दिखावा करते हैं मानो हमें उनकी चिंता और परवाह नहीं करनी है। 12 जनवरी को आये भूकम्प में राजधानी पोर्ट आउ प्रिंस में लगभग 90 फीसदी मकान नष्ट हो गये। प्रकृति ने सबलोगों को वे किसी भी जाति और वर्ग के हों , धनी या निर्धन सबको एक ही परिस्थिति में ला दिया है। इसलिए इस परिस्थिति में क्यों नहीं एक नये दर्शन के आधार पर एक साथ जीवन जीने के लिए नई शूरूआत करें। िस समय हैती के नागरिकों को ऐसी उदारता की जरूरत है जो विवेकपूर्ण, प्रभावी, तत्पर और नियमित हो। विदेशों से प्राप्त हो रही सहायता हैतीवासयों को नेता और निर्माता बनने के लिए मदद करे जो देश के निर्माण में मदद करेंगे। धर्माध्यक्ष दुमास ने कहा कि विदेशी सहायता संवाद पर आधारित हो और इस कार्य में विश्वसनीय स्थानीय संगठनों, जमीनी कार्य़कर्त्ताओं और कलीसिया के साथ संवाद करते हुए काम किया जाये। उन्होंने कहा कि हैतिवासियों को काम की योजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराने की जरूरत है जो स्थानीय लोगों को फंड उपलब्ध करायंगा ताकि वे धीरे धीरे बचत करते हुए आत्मनिर्भर बन सकें। काम के लिए धन योजना लोगों को अपना सबसे श्रेष्ठ योगदान देने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करता है और इस तरह लोग आत्मविश्वसी बनकर अपने देश के लिए अच्छा महसूस कर सकेंगे। उन्होंने कहा हम नहीं चाहते हैं कि सहायता का अत्यधिक सैन्यीकरण और प्रशासनीकरण किया जाये बल्कि सहायता का और अधिक मानवतावादी किया जाना जरूरी है। मेरी अपील है कि मानव को सबके केन्द्र में रखा जाये तथा मानव मर्यादा का सम्मान किया जाये।








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