हैती के नवनिर्माण का आधार हो मानवाधिकार – महाधर्माध्यक्ष तोमासी
जेनेवा, 30 जनवरी, 2010 (ज़ेनित)। संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक
महाधर्माध्यक्ष सिलवानो तोमासी ने कहा है कि हैती में चल रहे नवनिर्माण कार्य में इस
बात पर ध्यान देना चाहिये कि मानवाधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करते हुए सहायता प्रदान
की जाये।
वाटिकन के प्रेक्षक ने ये बातें उस समय कहीं जब उन्होंने गुरुवार 28
जनवरी को संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार समिति के विशेष सत्र में हैती को सहायता
देने के विषय पर अपना वक्तव्य दिया।
महाधर्माध्यक्ष तोमासी ने कहा कि हैती में
जीवन, भोजन, पानी, स्वास्थ्य, विकास और श्रम जैसे मानव के मूल अधिकारों का पहले से ही
उल्लंघन होता रहा है इसलिये अब जब हैती के नवनिर्माण की योजनायें बनायीं जा रही हैं तब
इस बात का ध्यान रखा जाये कि हैती वासियों को खुद अपने विकास हेतु योग्य बनाया जाये।
इसके लिये उन्होंने एक ऐसी संरचना के गठन का परामर्श दिया जिसमें हैती के नागरिक
राजनीतिक और सामाजिक दायित्त्वों को बखूबी निभा सकें।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा
कि हैती की कलीसिया हैती के पुनर्निर्माण हेतु अपना योगदान देती रहेगी विशेषकर स्वास्थ्य
और शिक्षा के क्षेत्र में। उन्होंने कहा कि चर्च इस बात का भी प्रयास करेगी कि हैतीवासियों
को पूरी स्वतंत्रता मिले तथा वे मर्यादापूर्ण जीवन जी सकें।
ज्ञात हो कि 12
जनवरी को आये भीषण भूकम्प से हैती की राजधानी पोर्तअव प्रिंस तहस-नहस हो गयी है, लाखों
लोगों की जानें गयी हैं तथा अन्य अनेक घायल और बेघर हो गये हैं।
महाधर्माध्क्ष
तोमासी ने संत पापा की बातों को याद करते हुए कहा कि काथलिक कलीसिया हैतीवासियों की मदद
के लिये तत्पर है।
विदित हो कि काथलिक कलीसिया की ओर से कारितास ने 33 लाख डॉलर
और कैथोलिक रिलीफ सर्विस ने 25 लाख डॉलर की राशि हैती के लिये पहले ही दान कर दी है।
इस
सन्दर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक ने विश्व के विभिन्न
राष्ट्रों द्वारा दी जा रही अनवरत सहायता की भी तारीफ़ की। उन्होंने भूकम्प में मृत लोगों
के प्रति शोक व्यक्त किया तथा घायल एवं विस्थापितों के प्रति गहन संवेदना प्रकट की।