पुरोहितों को खो गये रहस्यवाद की पुर्नखोज करनी होगी
(नई दिल्ली 28 जनवरी सीबीसीआई न्यूज) भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की सामान्य
सभा फरवरी माह में गुवाहाटी में सम्पन्न होगी। गुवाहाटी के महाधर्माध्यक्ष थोमस मेनामपरमबिल
ने एशिया न्यूज को दिये साक्षात्कार में बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक समाजवाले भारत में
पुरोहितों के सामने आनेवाली चुनौतियों और बाधाओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए बल दिया
कि पुरोहितों को खो गये रहस्यवाद की पुर्नखोज करनी ही होगी। उन्होंने कहा कि विख्यात
ईशशास्त्री कार्ल रानर ने कहा था कि कल के ईसाईयों को रहस्यवादी बनने की जरूरत होगी या
वे विश्वासी नहीं बने रह सकेंगे। उनका वाक्य इस संदर्भ में नबूवती रहा है। हमने देखा
है कि विश्व के विभिन्न भागों में ख्रीस्तीय विश्वासियों के बीच विश्वास समाप्त हो गया
है। अनेक लोग जो ख्रीस्तीय विश्वास के बिना ही विश्व को ठीक करना चाहते थे उन्होंने पाया
कि इस वृहत काम को करने के लिए वे समर्थ नहीं हैं। महाधर्माध्यक्ष महोदय ने कहा कि रहस्यवादी
बनने से उनका तात्पर्य़ यह नहीं है कि व्यक्ति काम के क्षेत्र से हट जायें लेकिन वह कार्य़ों
और घटनाओं के बीच प्रवेश करे, लोगों की सहायता करे, सुझाव दे, मार्गदर्शन प्रदान करे,
प्रेरणा दे, अगुवाई करे, सहे तथा जरूरत हो तो अपना जीवन दे दे। हमें ऐसे हीरो और हीरोइन
की जरूरत है जो मानव ह्दय को उद्वेलित करें। इसी प्रकार के पुरोहितों की जरूरत है। ऐसे
रहस्यवादियों की जो निराश हो चुके लोगों को आशा प्रदान करें। इसके लिए चिंतन के आरम्भिक
स्थल झुग्गी झोपडि़याँ हैं जहाँ निर्धन लोग रहते हैं तथा युवा खतरे का सामना करते हैं।
मदर तेरेसा सदृश रहस्यवादी सांस्कृतिक और संकीर्ण मान्यता पद्धतियों से परे जाकर सब धर्मों
के लोगों को जोड़नेवाली सामान्य बिन्दुओं की पहचान कर लोगों को एकता में बांधने के लिए
काम करते हैं। उनके पास ऐसी क्षमता होती है कि सबलोगों के साथ काम कर सकें। ऐसे रहस्यवादियों
में आंतरिक रूप से आत्म विश्वास होता है जो उन्हें सबलोगों के साथ काम करने के लिए समर्थ
बनाता है। हमें ऐसे पुरोहितों की जरूरत है जिनका प्रार्थनामय जीवन मजबूत हो और वे सम्पूर्ण
मानवजाति के साथ जीवन में आनेवाली आँधी का सामना करने के लिए तैयार हैं। ऐसे सक्षम पुरोहितों
की जरूरत देश में और विश्व के किसी भी भाग में होगी।