2010-01-25 16:27:32

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 24 जनवरी को संत पेत्रुस महागिरजागर के प्रांगण में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना से पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए कहाः
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आज की पूजनधर्मविधि के लिए निर्धारित बाइबिल पाठों के बीच कुरिंथियों को लिखे संत पौलुस के प्रथम पत्र का प्रमुख भाग है जिसमें कलीसिया की तुलना मानव शरीर के साथ की गयी है। प्रेरित लिखते हैं- मनुष्य का शरीर एक है, यद्यपि उसके बहुत से अंग होते हैं और सभी अंग, अनेक होते हुए भी, एक ही शरीर बन जाते हैं। मसीह के विषय में भी यही बात है। हम यहूदी हों या यूनानी, दास हों या स्वतंत्र, हम सब के सब एक ही आत्मा का बपतिस्मा ग्रहण कर एक ही शरीर बन गये हैं। हम सब को एक ही आत्मा का पान कराया गया है। कलीसिया को भी एक शरीर के समान समझा गया है जिसकी रचना ख्रीस्त के साथ होती है जो उसका शीर्ष हैं। इसके बावजूद प्रेरित जो बताना चाहते हैं वह करिश्मों की बहुलता के बीच एकता का विचार है, ये सब आत्मा के वरदान हैं।
इन वरदानों के लिए धन्यवाद, कलीसिया स्वयं को समृद्ध होने के रूप में प्रस्तुत करती है न कि समरूप जीवित प्राणी के समान। एक ही आत्मा के फल सबको गहन एकता की ओर ले चलते हैं भिन्नताओं को समाप्त नहीं करते बल्कि स्वीकार करते हुए सामंजस्यता को साकार करते हैं। यह स्थिति विशेषकर संस्कारों, ईशवचन , करिश्मों और समुदाय में विभिन्न विभागों के द्वारा इतिहास में पुर्नजीवित प्रभु की उपस्थिति का विस्तार करती है। इसी कारण से, विशिष्ठ रूप से ख्रीस्त में और आत्मा में कलीसिया एक और पवित्र है, अंतरंग समुदाय जो मानवीय क्षमताओं से परे है तथा उन्हें बनाये रखता है। जब हम ख्रीस्तीय एकता के लिए प्रार्थना सप्ताह मना रहे हैं जो कल संत पौलुस के मनपरिवर्तन के पर्व के साथ समाप्त हो जायेगा मैं इस पहलू पर बल देकर कहना चाहता हूँ। परम्परा का पालन करते हुए मैं संत पौलुस को समर्पित महागिरजाघर में संध्या वंदना प्रार्थना सभा में भाग लूँगा, रोम में विद्यमान विभिन्न कलीसियाई समुदायों और चर्चों के प्रतिनिधि इसमें भाग लेंगे। हम ख्रीस्त के सब शिष्यों के बीच पूर्ण एकता का वरदान देने के लिए ईश्वर से याचना करेंगे, विशेष ऱूप से इस वर्ष के प्रार्थना मनोरथ के अनुसार हम क्रूसित और पुर्नजीवित येसु का संयुक्त साक्ष्य देने के समर्पण को नवीकृत करेंगे। ख्रीस्तीयों की सामुदायिकता वास्तव में, सुसमाचार की उदघोषणा को विश्वसनीय और असरकारी बनाती है जैसा कि स्वयं येसु ने अपनी मृत्यु से पूर्व पिता ईश्वर से प्रार्थना किया था कि सब के सब एक हो जायें जिससे संसार यह विश्वास करे।


अंततः प्रिय मित्रो, मैं संत फ्रांसिस द सेल्स का स्मरण करना चाहता हूँ जिनका स्मरण पूजनधर्मविधि पंचांग के अनुसार 24 जनवरी को किया जाता है। वे सन 1567 को सवोय में जन्मे थे। उन्होंने पादुआ और पेरिस में अध्ययन किया तथा प्रभु के आह्वान पर पुरोहित बने। उन्होंने उपदेश देने तथा महान फल उत्पन्न करने के लिए विश्वासियों को आध्यात्मिक प्रशिक्षण देने के लिए अपने आपको समर्पित किया। उन्होंने सिखाया कि पवित्र बनने का बुलावा सबके लिए है और जैसा कि संत पौलुस शरीर के उदाहरण द्वारा कहते हैं प्रत्येक जन के लिए कलीसिया में जगह है। संत फ्रांसिस द सेल्स पत्रकारों, संवाददाताओं और काथलिक प्रेस के संरक्षक संत हैं। मैं विश्व सामाजिक सम्प्रेषण दिवस के संदेश को उनकी आध्यात्मिक सहायता के सिपुर्द करता हूँ जिसपर मैं प्रतिवर्ष इस अवसर पर हस्ताक्षर करता हूं और जिसे कल वाटिकन में प्रस्तुत किया गया था।
कुँवारी मरियम, कलीसिया की माँ, हमारे लिए यह कृपा प्राप्त करें ताकि हम सामुदायिकता में बढ़ें और पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की एकता में एक होने के सौंदर्य का प्रसार करें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने के बाद सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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