वाटिकन सिटीः मध्यपूर्व के धर्माध्यक्षों की धर्मसभा की रूपरेखा जारी
वाटिकन ने मंगलवार को, आगामी अक्तूबर माह के लिये निर्धारित, मध्यपूर्व के धर्माध्यक्षों
की धर्मसभा की रूपरेखा प्रकाशित कर दी।
वाटिकन में, आगामी 10 से 24 अक्तूबर तक
धर्मसभा जारी रहेगी। इसका विषय हैः "मध्यपूर्व में काथलिक कलीसियाः सहभागिता एवं साक्ष्य।"
धर्मसभा की रूपरेखा अरबी, अँग्रेज़ी, फ्रेंच एवं इताली भाषाओं में प्रकाशित की
गई।
रूपरेखा की प्रस्तावना में धर्मसभा के प्रेरितिक उद्देश्यों का उल्लेख करते
हुए लिखा गया, "ईश वचन एवं संस्कारों द्वारा ख्रीस्तीयों की पहचान को पुष्ट एवं मज़बूत
करना तथा विभिन्न कलीसियाओं के बीच कलीसियाई सहभागिता को पोषित करना।"
परम्परा
के अनुसार धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की रूपरेखा में, क्षेत्र विशेष पर, कुछ व्यावहारिक प्रश्न
दिये जाते हैं तथा इनके उत्तर के आधार पर ही धर्मसभा में विचार विमर्श होता है। मध्यपूर्व
की विभिन्न कलीसियाओं एवं उनके अनुयायियों के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों एवं समस्याओं
पर उक्त प्रश्न आधारित हैं जिनका उत्तर चार अप्रैल सन् 2010 तक दिया जा ना है।
प्रेस
के समक्ष इन प्रश्नों को रखते हुए विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष
निकोला एतेरोविच ने कहा कि जहाँ ख्रीस्तीयों को ग़ैरनागरिक समझा जाता है, उन क्षेत्रों
के वर्तमान ही नहीं अपितु बेहतर भविष्य के लिये, येसु ख्रीस्त एवं उनके सुसमाचार का साक्ष्य
प्रदान किया जाना ज़रूरी है।
प्रस्तावित प्रश्नों में मध्यपूर्व में बढ़ते इस्लामी
रूढ़िवाद एवं मुसलमान चरमपंथियों द्वारा ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के विरुद्ध हिंसा और
साथ ही मध्यपूर्व से अधिकाधिक ख्रीस्तीयों के पलायन का विशेष उल्लेख किया गया।
महाधर्माध्यक्ष
एतेरोविच ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि हिंसा के कारण मध्यपूर्व के ख्रीस्तीय
अन्यत्र पलायन के लिये बाध्य हो रहे हैं जिससे सम्पूर्ण समाज दुर्बल हो रहा है क्योंकि
ख्रीस्तीय धर्मानुयायी अपनी प्रार्थनाओं एवं अपनी अनगिनत कल्याणकारी सेवाओं द्वारा मध्यपूर्व
के निर्धन एवं कम भाग्यशाली लोगों की सहायता करते हैं।