वाटिकन सिटीः चीन के मृत धर्माध्यक्ष के प्रति वाटिकन की श्रद्धान्जलि
"न्यायी की आत्मा ईश्वर के हाथ में है, उसे कोई कष्ट नहीं होगा", प्रज्ञा ग्रन्थ के इन
शब्दों से, सोमवार को, वाटिकन द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में हेबेई प्रान्त के चीनी धर्माध्यक्ष
लियो लियांग के प्रति श्रद्धान्जलि अर्पित की गई। 86 वर्षीय धर्माध्यक्ष लियो लियांग
का निधन एक लम्बी बीमारी के बाद तीस दिसम्बर को हो गया था। वाटिकन की विज्ञप्ति के
अनुसार 11 अप्रैल सन् 1923 ई. को, चीन के घोंघुई गाँव में, धर्माध्यक्ष लियो लियांग का
जन्म हुआ था तथा पहली अगस्त सन् 1948 ई. को आप पुरोहित अभिषिक्त हुए थे। पचास के दशक
में चीन में आये साम्यवादी शासन के अधीन उन्हें उनकी प्रेरिताई से वंचित कर दिया गया।
अपनी जीविका के लिये आप सब्ज़ी उत्पादन एवं लकड़ी काटने के लिये बाध्य हुए। सन् 1956
में सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया एवं सन्त पापा की परमाध्यक्षता के प्रति निष्ठा के कारण
धर्माध्यक्ष को गिरफ्तार कर श्रम शिविर में भेज दिया गया था। दो वर्ष बाद इसी अपराध के
लिये उन्हें उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई। तीस वर्षीय कारावास के बाद सन् 1984 में आप
मुक्त कर दिये गये तथा सन् 2002 में धर्माध्यक्ष नियुक्त किये गये किन्तु सन् 2006 में
एक गिरजाघर के अनुष्ठान समारोह के बाद चीनी पुलिस ने आपको पुनः गिरफ्तार कर लिया। लगभग
ढाई साल कारावास के बाद आप रोगग्रस्त हो गये जिसके बाद अधिकारियों ने आपको रिहा कर दिया।
तीस दिसम्बर सन् 2009 को आपका निधन हो गया। विज्ञप्ति में बताया गया कि धर्माध्यक्ष
के निधन के बाद अधिकारियों ने चोंगली के चीनी काथलिक समुदाय को उनकी अन्तयेष्टि में भाग
लेने से मना कर दिया तथा यह आदेश भी जारी किया कि धर्माध्यक्ष रूप में उनकी दफन क्रिया
न की जाये बल्कि प्रकाशित किया जाये कि वे अवैध पुरोहित थे। इसके बावजूद छः जनवरी को
हज़ारों काथलिक धर्मानुयायियों ने धर्माध्यक्ष के अन्तयेष्टि याग में शामिल होकर दर्शा
दिया कि धर्माध्यक्ष लियो लियांग वास्तव में भले गड़ेरिये थे जिन्होंने अपनी रेवड़ की
रक्षा के लिये अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिये।