2010-01-06 12:45:07

प्रभु प्रकाश महापर्व के उपलक्ष्य में अर्पित ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के प्रवचन के कुछ अंश


श्रोताओ, 25 दिसम्बर को प्रभु ख्रीस्त की जयन्ती मना लेने के 12 दिन बाद ख्रीस्तीय धर्मानुयायी छः जनवरी को ऐपिफनी, प्रभु प्रकाश का महापर्व अथवा तीन राजाओं का महापर्व मनाते हैं। वस्तुतः ऐपिफनी का अर्थ है किसी चीज़ को दर्शनीय बनाना, किसी को प्रकाशित करना या किसी के विषय में लोगों को ज्ञान कराना। यह महापर्व सुदूर पूर्व से, तारे के इशारे पर बेथलेहेम पहुँचे तीन विद्धानों द्वारा शिशु येसु के दर्शन के स्मरणार्थ मनाया जाता है।

प्रभु प्रकाश महापर्व के उपलक्ष्य में सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में महायाग अर्पित किया तथा बाद में महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। इन अवसरों पर किये उनके प्रवचनों के कतिपय अंशों को ही आज हम श्रोताओं की सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं। ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा ने प्रभु प्रकाश अर्थात विश्व के समक्ष प्रभु के प्रकटीकरण के रहस्य पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहाः

"अति प्रिय भाइयों एवं बहनों,
आज प्रभु प्रकाश महापर्व है, सुदूर पूर्व के तीन राजाओं द्वारा बेथलेहेम की गुफा से चमकनेवाला प्रकाश सम्पूर्ण मानवजाति पर आच्छादित है। आज की धर्मविधि के लिये निर्धारित पाठ नबी इसायस के ग्रन्थ एवं सन्त मत्ती रचित सुसमाचार से लिये गये हैं। नबी इसायस हमारे समक्ष ईश्वर की ज्योति का भव्य दृश्य प्रस्तुत करते हैं। उस ज्योति का जिससे मार्गदर्शन पाकर धरती के कोने कोने से देशों के राजा भी शिशु येसु के आगे नतमस्तक होते तथा बहुमूल्य उपहारों की भेंट चढ़ाते हैं। इसके मुकाबले में सन्त मत्ती रचित सुसमाचार में प्रस्तुत दृश्य कुछ दीन प्रतीत होता है तथा जिसे पढ़कर हमें नहीं लगता कि इसायस की भविष्यवाणी बेथलेहेम के बालक में पूरी हो सकेगी। सच तो यह है कि जो लोग बालक येसु के दर्शन के लिये आये थे वे पृथ्वी के सत्ताधारी लोग नहीं थे बल्कि ईश्वर पर श्रद्धा रखनेवाले विद्धान थे जिन्हें लोगों ने हेरोद की क्रूरता के बीच भुला दिया था। सम्भवतः ये तीन विद्धान खगोल शास्त्री थे। उन्होंने, फिलीस्तीन की पूर्वी दिशा में, एक नये तारे को उदित होता देखा था जिसकी व्याख्या उन्होंने, पवित्र धर्मग्रन्थों के अनुसार, एक राजा और यथातथ्य यहूदियों के राजा के जन्म लेने की घोषणा रूप में की थी। सन्त मत्ती द्वारा लिखे इस वृत्तान्त में कलीसिया के आचार्यों ने ईशपुत्र के इस धरती पर प्रवेश के परिणामस्वरूप उत्पन्न एक प्रकार की ब्रहमाण्डीय क्रान्ति को देखा। नबी इसायस एवं सन्त मत्ती वास्तव में क्या कहना चाहते थे? नबी इसायस ने वह दृश्य हमारे समक्ष रखा जो मानवजाति के सम्पूर्ण इतिहास को ही बदलनेवाला था। तथापि सन्त मत्ती द्वारा रचित सुसमाचार का वृत्तान्त भी कम महत्वपूर्ण नहीं है अपितु वह प्रभु के साक्षात्कार करनेवालों का, एक प्रकार से, उदघाटन है। सुदूर पूर्व से आनेवाले विद्धान उन लोगों की तीर्थयात्रा के प्रथम तीर्थयात्री हैं जो इतिहास के अन्तराल में प्रभु येसु मसीह एवं उनके सन्देश की खोज करते रहे हैं। उन लोगों की तीर्थयात्रा जो सुसमाचार के अनुकूल जीवन यापन करते हुए विश्व में प्रेम, न्याय एवं शान्ति की स्थापना हेतु अनवरत प्रयास करते रहे हैं।"









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