2010-01-06 12:03:39

नवीन मार्ग - नम्रता और समर्पण का मार्ग – संत पापा




रोम 6 जनवरी, 2010 (सेदोक)। संत पापा ने कहा, पूरब के राजाओं ने येसु को जो सोना, लोबान और गंधरस की भेंट चढ़ायी, निश्चित रूप से वे रोजदिन की जरूरत की भेंट नहीं थीँ। पर उन्होंने जो एक एक नयी शुरुआत की उसका प्रकाश आज भी दुनिया में फैल रहा है और दुनिया के लोग इसके प्रकाश को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं।

आज संत अगुस्टीन लोगों को आमंत्रित करते हुए कहते हैं कि हमने येसु मसीह को पहचाना है जो हमारे राजा और पुरोहित है और जिन्होंने हमारे लिये अपना जीवन दिया है। हमने उन्हें अपना उचित सम्मान भी दिया है पर आज ज़रूरत है एक नवीन रास्ते में चलने की ताकि हम उनके विषय में साक्ष्य दे सकें।

आज इसायस नबी की भविष्यवाणी पूरी हुई है। उन्होंने बालक येसु के बारे में जो कुछ कहा था वह पूरा हो गया है। चरनी में लेटे इस नन्हें बालक ने ईश्वर की महिमा और सामर्थ्य को प्रकट किया है और दुनिया के लोगों को अपने प्रेम के मार्ग पर चलने के संदेश देकर इसे परिवर्तित कर दिया है।

अपितु, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि तारे को तो सबों ने देखा है पर सबों ने इस पर विश्वास नहीं किया है। आज भी बालक येसु के संदेश को लोगों को बताये और समझाये जाने की आवश्यकता है।

यह भी सत्य है कि लोग येसु को तब तक नहीं पहचान पायेंगे जबतक वे यह सोचेंगे कि वे ईश्वर के बिना ही सबकुछ कर सकते हैं।

आज हमें चाहिये कि हम नम्र बने। हम प्रभु पर पूर्ण भरोसा रखें और मानें कि वही सर्वशक्तिमान हैं। हम अपने जीवन का समर्पण इस तरह से करें ताकि अपना जीवन ठीक वैसे ही आगे बढ़ सकें जैसा कि तीन ज्ञानियों ने किया।

आज हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमारे मन को खोल दें और ह्रदय को विनीत बनायें ताकि हम ईश्वरीय ज्योति को पहचानें और उसी के प्रकाश से आलोकित हो अपना जीवन में आध्यात्मिक खुशी का अनुभव कर सकें।










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