बैंकॉक, 4 जनवरी, 2010 (उकान)। मलेशिया की मुसलिम अदालत के उस निर्णय पर दो भाग में बँट
गये हैं जिसमें अदालत ने मलेय खंड के साप्ताहिक ' हेराल्ड ' में ' अल्लाह ' शब्द के
व्यवहार पर पाबंदी लगा दी है। ज्ञात हो कि 31 दिसंबर को अदालत ने ' अल्लाह ' शब्द
के व्यवहार पर पाबंदी लगायी थी। 4 जनवरी सोमवार को करीब 200 मुसलमानों ने इसका विरोध
किया और सरकार से माँग की कि वह इस पर हस्तक्षेप करें। यह भी विदित हो कि क्वालालंपुर
में 13 स्वयंसेवी सस्थाओं ने 3 जनवरी को एक मुकद्दमा दायर किया और कहा कि वे हेराल्ड
में व्यवहार किये गये ' अल्लाह ' शब्द का विरोध करते हैं। इसके तुरन्त बाद करीब 10
हज़ार लोगों ने फेसबुक के द्वारा अपने विचार व्यक्त करते हुए अदालत के फैसले का विरोध
किया। इस मामले में प्रधानमंत्री नज़ीब राज़ाक ने कहा है कि इसका अंतिम फ़ैसला अदालत
करेगी। उधर ' पैन मलेसियन इस्लामिक पार्टी ' के धर्म गुरु ने कहा है कि जो भी अब्राहम
के विश्वास को मानते हैं उन्हें अल्लाह शब्द के उपयोग की छूट है। उन्होंने यह भी
कहा कि ऐसी बातों का समाधान वार्ता के द्वारा किया जाना हितकर होगा। मुसलमानों को धर्मशास्त्र
पढाने वाले शाह किरित काकुला ने कहा कि वे अदालत का सम्मान करते हैं। उन्होंने अपने
बयान में इस बात को भी जोड़ दिया कि ' अल्लाह ' का अर्थ है ' ईश्वर ' और अगर इसे कोई
दूसरे धर्मावलंबी प्रयोग करें तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। अपने दिये गये साक्षात्कार
में एक स्वयंसेवी संस्था ' जस्ट इंटरनैशनल ' के अध्यक्ष ने कहा है कि अल्लाह शब्द
का प्रयोग प्रोफेट मुहम्मद के पहले से ही होता रहा था। मलेशिया के गृह मंत्रालय ने
सन् 2007 ई. में ' अल्लाह ' शब्द के प्रयोग पर यह कहते हुए प्रतिबन्ध लगाया था कि दूसरे
धर्मों के प्रकाशनों में प्रयोग किये जाने से मुसलमान द्विविधा में पड़ जायेंगे और दूसरे
धर्म की ओर आकर्षित होंगे। क्वालम्पुर के महाधर्माध्यक्ष मर्फी पाकियम ने कहा है
कि ' हेराल्ड ' को प्रकाशित करनेवाले अदालत के फैसले को चुनौती देंगे।