2010-01-02 13:01:03

पारस्परिक निर्भरता को इंगित करता है चरनी – महाधर्माध्यक्ष विन्सेंट


लंदन, 2 जनवरी, 2010 (जेनित) । क्रिसमस के लिये बनायी गयी चरनी में बेथलेहेम का जो दृश्य है वह इस बात की ओर इंगित करता है कि दुनिया की सभी सृष्ट वस्तुओं में एक सामंजस्य है। यह हमें इस बात को दिखाता है कि हमारा जीवन एक- दूसरे पर आश्रित है।

हमारा जीवन ईश्वर और सृष्टि पर पूर्णतः आधारित है। उक्त बातें वेस्टमिनस्टर के महाधर्माध्यक्ष विन्सेंट निकोलस ने उस समय कहीं जब उन्होंने 27 दिसंबर को पवित्र परिवार के पर्व के अवसर पर लोगों को अपने संदेश दिये।

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि अगर हम येसु के जन्म को दर्शाने वाली चरनी को ग़ौर से देखें तो हम पायेंगे कि उसमें ईश्वर की रचना के सब ही तत्त्व विद्यामान हैं। एक ओर पुवाल है जो प्रकृति के फल का प्रतीक है तो दूसरी ओर पशु-पक्षी हैं।

इसके साथ चरनी के बीच में येसु हैं। और अगर हम इन सब बातों को एक साथ मिला कर देखें तो हम पायेंगे कि इसमें एक तारतम्यता है।

चरनी की हर वस्तु के लिये एक उचित स्थान है और हर वस्तु को एक विशेष सम्मान दिया गया है। इसके साथ ही चरनी के बीचोंबीच में नवजात ईशपुत्र येसु बालक बनकर उपस्थित हैं।

महाधर्माध्यक्ष निकोलस ने कहा कि आज की दुनिया के लिये चरनी की शिक्षा यही है कि हम मानव, प्रकृति और ईश्वर के बीच के संबंध को मधुर और सौहार्दपूर्ण बनाये रखें। और ऐसा करने से ही हम शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं।

प्रकृति और पर्यावरण का सम्मान नहीं करने से, निश्चय ही अपने को विश्व शांति की कल्पना अधुरी रहेगी।

इस अवसर पर बोलते हुए महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि त्योहार मनाने की खुशी ईमानदारी में है, अधिक खर्च करने में नहीं संवेदनशीलता में है ज्यादा खर्च करने में नहीं।

चरनी की शिक्षा है - ईमानदारी का जीवन जीना, गरीबों की मदद करना और सारी सृष्टि को उचित सम्मान देना।








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