बुधवारीय- आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
वाटिकन सिटी, 30 दिसंबर, 2009। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने पौल षष्टम सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित
किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा-
मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की
धर्मशिक्षा माला में हम मध्ययुगीन ईसाई संस्कृति के बारे में चिन्तन करते हुए 20वीं
सदी के महान् ईशशास्त्री पीटर लोमबार्द के जीवन पर विचार करें।
पीटर लोमबार्द
ने अपना जीवन नोतरे देम के एक प्रसिद्ध स्कूल के एक शिक्षक के रूप में बिताया। बाद में
वे पेरिस के धर्माध्यक्ष बनाये गये।
उन्होंने ' सेनटेन्सेस ' नामक किताब लिखी
जो काथलिक कलीसिया के लिये बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुई। यह चार किताबों का एक संकलन है
जिसमें उन्होंने पैटरिस्टिक पाठों को इस तरह से सजाया है, ताकि इससे ईशशास्त्र के गूढ़
रहस्यों को सरलता से समझाया जा सके।
संत अल्बर्ट महान् बोनावेनतुरा और थोमस अक्वीनास
जैसे प्रकाण्ड विद्वानों ने इस किताब की पढ़ाई की और इसके सहारे अपने विद्यार्थियों को
ईशशास्त्र पढ़ाया।
आरंभ में ' सेन्टेनसेस ' से ही छात्रों को ईशशास्त्र की प्रस्तावना
के रूप में पाठ पढाये जाते थे। इस किताब की एक विशेषता यह है कि इसमें काथलिक विश्वास
को बहुत ही बारीकी से समझाया गया है विशेषकर के पवित्र तृत्व की एकता की सत्यता और ईश्वरीय
मुक्ति योजना को।
सच पूछा जाये तो आदि कलीसियाई युग में पीटर की किताव ने उस
आवश्यकता को पूरा किया जिसे आज ' कैटेकिज्म ऑफ कैथोलिक चर्च ' अर्थात काथलिक कलीसिया
की धर्मशिक्षा ने पूरा किया है।
पीटर लोमबार्द की इस किताब में संस्कार के बारे
में जो एक परिभाषा दी गयी है वह बहुत ही प्रसिद्ध हुई। इसके अनुसार संस्कार का अर्थ
है ' ईश्वर की भीतरी कृपा का बाहरी रूप '। पीटर ने सात संस्कारों के संबंध में जो शिक्षायें
दीं वे बहुत लोकप्रिय और प्रभावकारी हुईं।
संत पापा ने कहा कि वे प्रार्थना करते
हैं कि पुरोहितों को समर्पित इस वर्ष में सभी पुरोहित और लोकधर्मी अपने विश्वास में बढ़ें,
संस्कारों के अर्थ को समझें और इस तरह से येसु मसीह से एक होकर कलीसियाई जीवन जी सकें।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने आयरलैंड, स्वीटजरलैंड
अमेरिका एवं देश-विदेश से आये तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों और उनके परिवार के सब सदस्यों
पर बालक येसु की कृपा और शांति की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।