2009-12-25 13:09:56

रोम शहर और सम्पूर्ण विश्व के नाम सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का ख्रीस्तजयन्ती सन्देश


सन्त पापा ने कहाः "रोम तथा सम्पूर्ण विश्व के प्रिय भाइयो, बहनो तथा प्रभु के प्रेम पात्र सभी स्त्री पुरुषो,

"आज के दिन हम पर ज्योति का उदय हुआ है, प्रभु ने हमारे लिये जन्म लिया है"

आज प्रातः अर्पित ख्रीस्तयाग की धर्मविधि ने हमें स्मरण दिला दिया कि रात अब चली गई है, दिन की शुरुआत हो गई है; बेथलेहेम की गुफा से प्रज्वलित प्रकाश हम पर चमक रहा है।

बाईबिल धर्मग्रन्थ एवं धर्मविधि पाठ प्राकृतिक प्रकाश की बात नहीं करते अपितु एक भिन्न, विशिष्ट ज्योति का वर्णन करते हैं जो किसी प्रकार हमारे प्रति अभिमुख है तथा "हम" पर केन्द्रित है, उन्हीं "हम" पर जिनके लिये बेथलेहेम के शिशु ने जन्म लिया है। ये "हम" है कलीसिया, ख्रीस्त में विश्वास करनेवाला महान वैश्विक परिवार, जिसने आतुरता के साथ मुक्तिदाता के जन्म की प्रतीक्षा की है, और जो आज इस घटना के चिरस्थायी महत्व के रहस्य का समारोह मना रहा है।

पहले, बेथलेहेम की गऊशाला के निकट वह "हम" मानवीय आँखों के लिये लगभग अगोचर था। जैसा कि सन्त लूकस रचित सुसमाचार में बताया गया है, मरियम एवं योसफ के साथ साथ वहाँ कुछेक निर्धन गड़ेरिये भी थे जो स्वर्गदूतों का सन्देश सुनकर गुफा तक चले आये थे। उस प्रथम क्रिसमस का प्रकाश रात के अँधियारे में प्रज्वलित अग्नि के समान था। सर्वत्र अँधेरा था जबकि गुफा से वह सच्ची ज्योति प्रज्वलित हो रही थी "जो प्रत्येक मनुष्य का अन्धकार दूर करती है" (Jn 1:9)। इसके बावजूद यह सबकुछ सादगी एवं विछिन्नता में सम्पादित हुआ, उसी प्रकार जिस प्रकार ईश्वर सम्पूर्ण मुक्ति इतिहास में सक्रिय रहते हैं। ईश्वर छोटे छोटे दीप जलाना पसन्द करते हैं ताकि विशाल स्थलों को प्रकाशमान किया जा सके। जहाँ कहीं भी ज्योति का स्वागत किया जाता है वहाँ सत्य एवं प्रेम प्रस्फुटित होता है; बाद में वे अपने क्षेत्रों में, सम्पर्क द्वारा, उन लोगों तक इसका संचार करते हैं जो इसके वैभव के प्रति अपने मन एवं हृदय के द्वारों को खुला रखते तथा स्वयं प्रकाश के स्रोत बन जाते हैं। यही है कलीसिया का इतिहासः बेथलेहेम की गुफा से उसने अपनी यात्रा आरम्भ की थी तथा शताब्दियों के अन्तराल में वह लोगों का समुदाय एवं मानवजाति के लिये प्रकाश का स्रोत बनी। आज भी, उनमें जो उस बालक का साक्षात्कार करते हैं, ईश्वर, विश्व की रात में अग्नि प्रज्वलित कर मनुष्यों को येसु में उनके उद्धारकारी एवं मुक्तिदायी चिन्ह को पहचानने तथा ख्रीस्त में विश्वास करनेवालों के उस "हम" को सम्पूर्ण मानवजाति तक विस्तृत करने के लिये आमंत्रित करते हैं।

जहाँ कहीं भी वह "हम" है जो ईश प्रेम का स्वागत करता है वहाँ, कठिनतम परिस्थितियों में भी, ख्रीस्त की ज्योति प्रज्वलित होती है। कलीसिया भी कुँवारी मरियम के सदृश ही येसु को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करती है, उस पुत्र को जिसे उन्होंने स्वयं वरदान स्वरूप ग्रहण किया, उस पुत्र को जो मानवजाति को पाप से मुक्ति दिलाने आया। मरियम के समान ही, कलीसिया को किसी प्रकार का भय नहीं है क्योंकि वह बालक उसकी शक्ति है। किन्तु वह उसे मात्र अपने लिये नहीं रखतीः वह उन्हें उन सबको अर्पित करती है जो निष्कपट हृदय से उसकी खोज करते हैं, धरती के निर्धनतम एवं प्रताड़ितों को, हिंसा के शिकार लोगों को तथा उन सबको जो शान्ति के लिये तरसते हैं। आज भी, गम्भीर आर्थिक संकट झेल रहे और उससे भी अधिक गम्भीर नैतिक संकट से गुज़र रहे तथा युद्धों एवं संघर्षों के दुखद घावों से भरे मानव परिवार की ओर से कलीसिया, मानवजाति के साथ विश्वसनीय एकात्मता में, गड़ेरियों के साथ दुहराती हैः "चलो हम बेथलेहेम चलें" (Lk 2:15), क्योंकि वहीं पर हमारी आशा है।

कलीसिया का "हम" येसु के जन्मस्थल, पवित्र भूमि, में सजीव है वह उसके निवासियों को हिंसा एवं प्रतिशोध की हर तर्कणा के परित्याग तथा नवीकृत ऊर्जा एवं उदारता के साथ सहअस्तित्वपूर्ण शान्ति के मार्ग पर अग्रसर होने के लिये आमंत्रित करता है। कलीसिया का "हम" मध्यपूर्व के अन्य राष्ट्रों में भी उपस्थित है। इस स्थल पर कैसे हम ईराक में विद्यमान अस्तव्यस्त स्थिति एवं उस क्षेत्र के छोटे से ख्रीस्तीय रेवड़ को भूल सकते हैं? यह कभी कभी हिंसा एवं अन्याय का शिकार बनता है किन्तु, झगड़ों एवं पड़ोसी के बहिष्कार की तर्कणा के विरुद्ध समाज के निर्माण में अपना योगदान देने के प्रति संकल्परत रहता है।"

सन्त पापा ने आगे कहा, "कलीसिया का "हम श्री लंका, कोरियाई प्रायद्वीप, फिलीपिन्स एवं एशिया के अन्य देशों में भी, पुनर्मिलन एवं शान्ति के ख़मीर रूप में सक्रिय है। अफ्रीका महाद्वीप में कलीसिया ईश्वर को पुकारना बन्द नहीं करती, कान्गो गणतंत्र में हर प्रकार के अन्याय के अन्त के लिये आर्त याचना करती हुई वह गिनी और नाईजर के प्रत्येक नागरिक को आमंत्रित करती है कि वह हर व्यक्ति के अधिकारों का सम्मान करे तथा वार्ता को प्रोत्साहित करे; मडागास्कार के लोगों से वह आन्तरिक विभाजनों को समाप्त करने तथा एक दूसरे को स्वीकार करने का आग्रह करती तथा सभी स्त्री पुरुषों को स्मरण दिलाती कि उन्हें प्रताड़ित करनेवाली त्रासदियों, परीक्षाओं और कठिनाईयों के बावजूद वे सब के सब आशा हेतु बुलाये गये हैं। यूरोप में और उत्तरी अमरीका में कलीसिया का "हम" लोगों से आग्रह करता है कि वे, जनकल्याण के विकास के लिये स्वार्थगत एवं तकनीकीपरत मानसिकता का परित्याग करें तथा अजन्में शिशु से लेकर सर्वाधिक सुरक्षाविहीन व्यक्तियों के प्रति सम्मान का प्रदर्शन करें। हॉनड्यूराज़ में कलीसिया संस्थाओं की पुनः निर्माण प्रक्रिया में सहायता प्रदान कर रही है; सम्पूर्ण लातीनी अमरीका में कलीसिया का "हम" उसकी पहचान का स्रोत है, सत्य एवं उदारता की परिपूर्णता का स्रोत जिसकी जगह कोई अन्य विचारधारा नहीं ले सकती, प्रत्येक मानव व्यक्ति के अलंघनीय अधिकारों के सम्मान एवं उसके अखण्ड विकास का वह आह्वान करती तथा न्याय एवं भ्रातृत्व की उदघोषणा कर एकता का स्रोत बनती है।

अपने संस्थापक के प्रति निष्ठावान रहकर कलीसिया उन सब के प्रति एकात्मता दर्शाती जो प्राकृतिक आपदाओं एवं निर्धनता के शिकार बनते हैं फिर चाहे वे धनाढ्य समाजों के ही क्यों न हों। उन लोगों के समक्ष जो भुखमरी, असहिष्णुता अथवा पर्यावरणीय ह्रास के कारण अपने घरों से पलायन कर अन्यत्र आप्रवासी बनने के लिये बाध्य होते हैं कलीसिया वह उपस्थिति है जो आतिथेय का आह्वान करती है। एक शब्द में, उत्पीड़न, भेदभाव, आक्रमणों एवं कभी कभी शत्रुत्व उपेक्षाभाव का शिकार होने के बावजूद कलीसिया सर्वत्र ख्रीस्त के सुसमाचार की उदघोषणा करती है, वस्तुतः ये उसे अपने प्रभु एवं स्वामी के दुखभोग में भागीदार बनाते हैं।

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सबके प्रति उदार रहनेवाली सहभागिता का अंग होना कितना महान वरदान है। यह पवित्रतम त्रियेक की सहभागिता है जिनके हृदय से एम्मानुएल, येसु, "ईश्वर हमारे साथ" इस विश्व में आये। बेथलेहेम के गड़रियों के समान, आश्चर्य एवं कृतज्ञता से पूर्ण होकर हम भी प्रेम एवं प्रकाश के इस रहस्य पर मनन चिन्तन करें। आप सबको क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ।"

तदोपरान्त, रोम शहर एवं सम्पूर्ण विश्व के नाम अपना क्रिसमस सन्देश समाप्त कर सन्त पापा ने विश्व की 65 भाषाओं में ख्रीस्तजन्म की मंगलकामनाएँ व्यक्त कीं, इनमें अँग्रेज़ी एवं लैटिन के साथ साथ कुछ भारतीय भाषाएँ भी सम्मिलित हैं ....................

अन्त में सन्त पापा ने सबको अपना आशीर्वाद प्रदान किया.......









All the contents on this site are copyrighted ©.