2009-12-24 10:11:19

वाटिकन सिटीः "सन्त पापा पियुस 12 वें के वीरोचित गुणों को मान्यता देना उचित", कहना वाटिकन प्रवक्ता का


वाटिकन के प्रेस प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने बुधवार को एक वकतव्य जारी कर सन्त पापा पियुस 12 वें के वीरोचित गुणों को मान्यता देना उचित निरूपित किया और कहा कि ख्रीस्तीय जीवन का आदर्श प्रस्तुत करने के लिये कलीसिया द्वारा मान्यता दी गई है, उनके ऐतिहासिक निर्णयों के लिये नहीं।

ग़ौरतलब है कि शनिवार को परमधर्मपीठीय सन्त प्रकरण परिषद ने ख्रीस्तीय जीवन का आदर्श प्रस्तुत करने के लिये 21 प्रभु सेवकों के प्रकरण सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के समक्ष प्रस्तुत किये थे जिन्हें सन्त पापा ने वेदी का सम्मान प्रदान करने हेतु मान्यता दे दी है। इन्हीं में सन्त पापा पियुस 12 वें का नाम भी है जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कलीसिया के परमाध्यक्ष थे तथा जिनपर कतिपय यहूदी दलों ने नाज़ी शासन का साथ देने का आरोप लगाया है।

इस बात को स्वीकार करते हुए सन्त पापा द्वारा दी गई उक्त मान्यता से यहूदी जगत के कुछेक लोगों ने प्रश्न उठायें हैं फादर लोमबारदी ने सन्त प्रकरण द्वारा प्रस्तुत आज्ञप्ति का अर्थ समझाना उचित समझा।

उन्होंने कहा, "किसी व्यक्ति विशेष के वीरोचित गुणों को मान्यता देते समय उन परिस्थितियों का सूक्ष्म परीक्षण किया जाता है जिनमें व्यक्ति को जीवन यापन करना पड़ता है अस्तु उक्त प्रश्न पर ऐतिहासिक दृष्टि से अध्ययन करना आवश्यक है।" उन्होंने कहा, "किसी व्यक्ति को वेदी का सम्मान प्रदान किये जाने से पहले उसकी ख्रीस्तीय जीवन शैली, ईश्वर के साथ उसका गहन सम्बन्ध तथा सुसमाचारी जीवन यापन हेतु उसकी निरन्तर खोज का मूल्याकंन महत्वपूर्ण होता है उसके कार्यों एवं निर्णयों द्वारा पड़नेवाले ऐतिहासिक प्रभावों को नहीं देखा जाता।"

फादर लोमबारदी ने कहा कि यही कारण है कि सन्त पापा पियुस 12 वें द्वारा यहूदियों की रक्षा पर और अधिक अध्ययन का स्वागत है जिसे सुगम बनाने के लिये वाटिकन अभिलेखागार ने सन् 1939 ई. से लेकर सन् 1958 ई. तक के दस्तावेज़ों को विद्वानों के लिये उपलभ्य बनाया है।

यहूदी लोगों के प्रति सम्मान का प्रदर्शन कर फादर लोमबारदी ने इस तथ्य की पुनरावृत्ति की कि सन्त प्रकरण परिषद द्वारा, सन्त पापा पियुस 12 वें की सन्त घोषणा हेतु, प्रस्तुत आज्ञप्ति को किसी भी मायने में यहूदियों के प्रति वैमनस्यता न समझा जाये। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इससे काथलिक यहूदी वार्ता में किसी भी प्रकार का अवरोध उत्पन्न नहीं होगा।







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