वाटिकन सिटीः सन्त पापा ने क्रिसमस में सन्त फाँसिस की भूमिका पर प्रकाश डाला
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें कहते हैं कि एक ओर जहाँ पास्का महापर्व ईश्वर की शक्ति पर
केन्द्रित हैं वहीं क्रिसमस महापर्व उस ईश्वर को प्रकाशमान करता है जो, अस्त्रों के बिना,
शक्तिविहीन होकर लोगों के समक्ष प्रस्तुत होता है। वे कहते हैं कि शिशु बने ईश्वर के
इस रूप को गऊशाले में येसु जन्म के दृश्य में देखा जा सकता है जिसकी प्रिय परम्परा ग्रेच्चो
में, इटली के सन्त फाँसिस ने आरम्भ की थी।
बुधवार को साप्ताहिक आम दर्शन समारोह
के दौरान सन्त पापा ने क्रिसमस में सन्त फाँसिस की भूमिका पर चिन्तन किया।
सन्त
पापा ने कहा, "सन्त फाँसिस और उनके द्वारा रचित खीस्तजन्म के दृश्य के साथ ही ईश्वर के
प्रेम, उनकी विनम्रता एवं उनकी अच्छाई जनसाधारण के सामने आई जो देहधारी शब्द रूप में
मनुष्य के समक्ष प्रकट हुए ताकि मानव, जीने और प्यार करने का, नया रास्ता पा सके।"
सन्त
पापा ने कहा कि सन्त फाँसिस द्वारा आरम्भ, गऊशाले में येसु जन्म को दर्शाने की, परम्परा
के कारण ही ख्रीस्तीय धर्मानुयायी क्रिसमस के इस मर्म को परख सके कि ईश्वर सचमुच में
एम्मानुएल अर्थात् ईश्वर हमारे साथ हैं, जिनसे किसी भी प्रकार की दूरी या रोध हमें दूर
नहीं कर सकता। इस बालक में, उन्होंने कहा, "ईश्वर हमारे इतने निकट, इतने समीप आ गये हैं
कि हम विश्वासपूर्वक उन्हें सम्बोधित कर सकते तथा उनके साथ विश्वसनीय सम्बन्ध को बनाये
रख सकते हैं ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार हम एक नवजात शिशु के साथ गहन प्रेम में बँधे रहते
हैं।"
सन्त पापा ने विश्वासियों का आह्वान किया कि वे पिता ईश्वर से प्रार्थना
करें ताकि ईश्वर हमारे हृदयों को वह सादगी प्रदान करे जो चरनी में लेटे बालक में प्रभु
को पहचान सके जैसा कि सन्त फाँसिस ने ग्रेच्चो में किया था।