वाटिकन सिटीः मानव विरोधी सुरंगों का कोई औचित्य नहीं, बेनेडिक्ट 16 वें
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा है कि मानव विरोधी सुरंगों का कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि मानव विरोधी सुरंगों के उत्पादन एवं उपयोग को उचित ठहराने का कोई नैतिक
तर्क नहीं है।
वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल तारचिसियो बेरतोने ने सन्त पापा की
ओर से कोलोम्बिया के काराताजेना नगर में चार दिसम्बर को सम्पन्न् छः दिवसीय शिखर सम्मेलन
को प्रेषित सन्देश में उक्त बात की पुष्टि की।
मानव विरोधी सुरंगों के उपयोग,
भण्डारन, स्थानान्तरण एवं उत्पादन पर निषेध हेतु सन 1997 में सम्पन्न ओटावा सन्धि के
पुनरावलोकन के लिये कारताजेना शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
सम्मेलन में
परमधर्मपीठ ने उक्त सन्धि पर हस्ताक्षर करनेवाले 156 देशों से अपील की कि वे इस पर अमल
करें। चीन, भारत, अमरीका एवं रूस ने इस सन्धि पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
सन्त
पापा के सन्देश में अपील की गई कि "सभी देश मानव विरोधी सुरंगों के दुखद मानवतावादी परिणामों
को पहचानें।"
सन्देश में लिखा गया, "अनुभव दर्शाता है कि इन अस्त्रों से राज्यों
की सुरक्षा के बजाय निर्दोष नागरिक अधिक हताहत हुए हैं तथा सामान्य जनजीवन को भारी क्षति
पहुँची है।" उन्होंने लिखा, कि अस्त्रों के शिकार हज़ारों लोग हमें, स्मरण दिलाते हैं
कि सैन्य तरीकों से शान्ति एवं स्थायित्व लाने का लक्ष्य रखना कपोल कल्पना है।
उन्होंने
इस बात की पुनरावृत्ति की कि शान्ति, स्थायित्व और सुरक्षा सैन्य सुरक्षा पर निर्भर नहीं
रह सकती बल्कि मानव के अखण्ड विकास पर वह निर्भर करती है।