2009-12-16 09:31:23

वाटिकन सिटीः 43वें विश्व शान्ति दिवस के लिये बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश प्रस्तावित


वाटिकन प्रेस ने मंगलवार, 15 दिसम्बर को 43वें विश्व शान्ति दिवस के लिये सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के सन्देश की प्रस्तावना पत्रकारों के समक्ष कर दी।

ग़ौरतलब है कि कलीसिया द्वारा घोषित विश्व शान्ति दिवस प्रतिवर्ष पहली जनवरी को मनाया जाता है। विश्व शान्ति दिवस सन् 2010 के लिये प्रस्तावित सन्त पापा के सन्देश का शीर्षक हैः "यदि शान्ति स्थापित करना चाहते हो तो सृष्टि की रक्षा करो।"

सम्पूर्ण विश्व के ख्रीस्तीय समुदायों, अन्तरराष्ट्रीय नेताओं तथा सभी शुभचिन्तकों को सम्बोधित अपने शान्ति सन्देश में सन्त पापा कहते हैं कि सृष्टि के प्रति सम्मान के विशाल परिणाम होते हैं क्योंकि सृष्टि ईश्वर के कार्यों का आरम्भ एवं आधार है और इसका संरक्षण अब मानव जाति के अस्तित्व के लिये अपरिहार्य हो गया है।

सन्त पापा लिखते हैं कि युद्धों, अन्तरराष्ट्रीय एवं प्रान्तीय संघर्षों, आतंकवादी कृत्यों तथा मानवाधिकारों के उल्लंघनों ने शान्ति एवं मानव विकास पर ख़तरे उत्पन्न कर दिये हैं। तथापि सृष्टि पर बना ख़तरा भी कोई कम गम्भीर ख़तरा नहीं है। अस्तु, यह अनिवार्य है कि मानजाति मानव प्राणियों एवं पर्यावरण के बीच बनी सन्धि को नवीकृत करे तथा उसे सुदृढ़ करे ताकि सृष्टिकर्त्ता ईश्वर का रचनात्मक प्रेम प्रतिबिम्बित हो सके जिनके द्वारा हम अस्तित्व में आये तथा जिन तक हमारी तीर्थयात्रा जारी है।

शान्ति सन्देश में सन्त पापा ने इस बात पर बल दिया है कि सृष्टि, प्रेम एवं सत्य सम्बन्धी ईश्वरीय योजना है। वे कहते हैं कि विश्व की उत्पत्ति कोई अकस्मात घटना नहीं है बल्कि विश्व ईश्वर की स्वेच्छा का परिणाम है जो चाहते थे कि उनके द्वारा सृजित सभी प्राणी उनमें, उनकी प्रज्ञा में तथा उनकी भलाई में भागीदार बने।

भावी पीढ़ियों का ख्याल रखने का आव्हान कर सन्त पापा ने अपने सन्देश में सभी से अपील की है कि वे धरती के संसाधनों का किसी भी प्रकार दुरुपयोग न करें। वे कहते हैं कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इस प्रकार किया जाये ताकि तत्काल लाभ के जीवित प्राणियों तथा वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों पर नकारात्मक प्रभाव न पड़ें, निजी सम्पत्ति की सुरक्षा संसाधनों की वैश्विक नियति के विरुद्ध न जायें, मानव गतिविधियाँ धरती की फलप्रदता के साथ समझौता न करें तथा प्रत्येक कार्य वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों के सम्मान को ध्यान में रखकर किया जाये।









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