2009-12-14 18:23:06

भोपाल मे अंतरकलीसियाई एकता सभा सम्पन्न


भोपाल, 14 दिसंबर, 2009 (उकान) भोपाल में 12 दिसंबर को एकत्रित अन्तरकलीसियाई नेताओं ने इस बात पर सहमति जतायी कि वे एक-दूसरे सदस्यों को अपने समुदाय में लाने की ' होड़ ' समाप्त करेंगे।
उनका मानना है कि मध्यप्रदेश में इस प्रकार के कार्यों से ईसाई एकता पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
ज्ञात हो कि करीब 100 अंतरकलीसियाई नेताओं ने इस बात को स्वीकार किया कि इससे कलीसिया कमजोर होती है।
इस अंतरकलीसियाई सभा का आयोजन भोपाल महाधर्मप्रांत में वार्ता और एकता के लिये बनी समिति किया था जिसकी अध्यक्षता भोपाल के महाधर्माध्यक्ष लेओ कोरनेलियो ने की।
महाधर्माध्यक्ष लेओ ने बल देकर कहा कि विभिन्न कलीसिया के सदस्यों को चाहिये कि वे एक-दूसरे की आलोचना न करें विशेष करके जब वे प्रवचन देते हों।
ऐसा करना येसु मसीह की शिक्षा के ख़िलाफ़ है। येसु ने प्रेम, शांति और मेल-मिलाप की शिक्षा दी थी। महाधर्माध्यक्ष लेओ ने कहा कि छोटी ईसाई समुदायों को क्षेत्र में आना और दूसरी कलीसियाओं की आलोचना करना खेदपूर्ण है।
डिसाइपल्स चर्च के माननीय सी. डी. सिंह ने कहा है कि दूसरी कलीसियाओं की ओर से सदस्यों को अपनी कलीसिया में लाने का प्रयास ही उसके सदस्यों की सबसे बड़ी चुनौती है।
उन्होंने यह भी कहा कि कई पुरोहित और पास्टर अपनी कलीसिया को छोड़ दूसरे में शामिल हो जाते हैं यह अनुकरणीय नहीं है।
चर्च ऑफ नोन्थ इंडिया के पासटर तिमोथी वनखेडे ने कहा कि कलीसिया में इस प्रकार का होना ' गलत संकेत ' है।
एक प्रोटेस्टंट पास्टर ने कहा कि हमें चाहिये कि हम अख्रीस्तीयों के बीच सुसमाचार का प्रचार करें।
सभा ने चार सदस्यीय एक समिति बनायी जो अंतरकलीसियाई एकता और सद्भाव के लिये कार्य करेगी।











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