बीमारी-काल ईश्वरीय आशा और मुक्ति का अऩुभव करने का समय – संत पापा
रोम, 14 दिसंबर, 2009 (जेनित)। संत पापा बेनेदिक्त सोलहवेंने ने कहा है कि बीमारीकाल
को आगमन एक विशेष अर्थ प्रदान करता है क्योंकि इस समय में रोगी इस बात का इन्तज़ार करते
हैं कि ईश्वर उनके दुःख को आशा और मुक्ति में बदल दे।
संत पापा ने उक्त बातें
उस समय कहीं जब उन्होंने शनिवार 12 दिसंबर को रोम में अवस्थित होसपिस फाउन्डेशन द्वारा
चलाये जा रहे स्वास्थ्य सेवा केन्द्र में बीमारों को देखने गये।
ज्ञात हो कि इस
केन्द्र में कैन्सर अलजेइमेर और अन्य घातक बीमारियों की मुफ्त चिकित्सा की जाती है। इस
स्वास्थ्य सेवा केन्द्र में 30 लोगों का इलाज़ चल रहा है। और अनेकों प्रतिदिन इस संस्था
में अपनी चिकित्सा कराते हैं।
यह भी विदित हो कि इस अस्पताल की स्थापना 11 साल
पहले हुई थी जिसे ' सेक्रेड हार्ट होसपिस ' के नाम से जाना जाता है।
इसका आरंभ
' सर्कल ऑफ सेंट पीटर ' और ' फोन्दातोत्सेनो कास्सा दी रिसपारिमियो दी रोमा ' की संयुक्त
पहल पर हुई थी।
संत पापा ने कहा कि जो लोग गंभीर बीमारी के शिकार हो जाते हैं
उन्हें पूरा मानवीय सम्मान दिया जाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि रोगग्रस्त लोगों
को ख्रीस्तीय प्रेम, सहानुभूति, समझदारी, उचित आराम और प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये।
संत पापा ने कहा कि इस प्रकार के असाध्य रोग या बीमारियाँ हमारा ध्यान इस ओर
खींचना चाहते हैं, कि हमारा वास्तविक घर इस दुनिया में नहीं है।
बीमारियाँ दुःखदायीं
हैं और हमारे विश्वास के समक्ष एक चुनौती के रूप में आतीं हैं।
पर जब हम इस बात
को समझते हैं कि ईश्वरीय पुत्र ने क्यों इस दुनिया में जन्म लिया तो यह काल ईश्वर का
वरदान बन जाता है और बीमारी का समय अपने को पवित्र करने का समय बन जाता है।
संत
पापा ने कहा बीमारी का काल आशा और उत्साह से ईश्वर से मिलने का समय है।