मानव और प्रकृति की सुरक्षा में ही हमारी सुरक्षा – वाटिकन प्रवक्ता
वाटिकन सिटी, 7 दिसंबर, 2009। जलवायु परिवर्तन पर होने वाला शिखर-सम्मेलन लोगों को इस
बात के लिये आमंत्रित करता है कि लोग अपनी जीवन-शैली में परिवर्तन लायें।
उक्त
बातें वाटिकन के प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदेरिको लोम्बार्दी ने उस समय कहीं जब वे वाटिकन
टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम ' ओक्तावा दियेस ' में जलवायु परिवर्तन पर होने वाले
ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन पर अपनी टिप्पणी कर रहे थे।
फादर लोमबार्दी ने कहा कि
अब समय आ गया है जब जलवायु परिवर्तन के बारे में सिर्फ़ अमीरों या धनी राष्ट्र के लोगों
का सचेत होना काफी नहीं, ग़रीबों को इसके लिये सचेत होने की आवश्यकता है ताकि सबका जीवन
सुरक्षित हो सके।
उन्होंने आगे कहा कि जब क्षेत्र सूखाग्रस्त हो जाता है या कोई
प्राकृतिक विपदा आ जाती है तो इससे सबसे पहले गरीब राष्ट्र ही प्रभावित होते हैं।
इसीलिये
शिखर सम्मेलन इस बात पर विचार-विमर्श करे कि प्रकृति को बचाने की दिशा में सबसे पहले
ग़रीबों के जीवन की सुरक्षा पर निर्णय लिये जाये।
उन्होंने आगे कहा पूरी दुनिया
एक जीव के समान है जिसके किसी एक भाग में भी कोई समस्या आ जाने से पूरा शरीर इससे प्रभावित
होता है।
उन्होंने कहा कि लोग इस बात को समझें कि पृथ्वी की संरचना में कोई परिवर्तन,
समुद्र के जल स्तर में वृद्धि, ताजा पानी के भंडार की कमी, अतिवृष्टि या तूफान, भू- क्षरण
बंजर, कृषि और मानव स्वास्थ्य को नुकसान बहुत हद तक मानव व्यवहार और निर्णय पर निर्भर
करता है।
वाटिकन के प्रवक्ता फादर लोमबार्डी ने कहा कोपेनहेगेन शिखर सम्मेलन
की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि विभिन्न राष्ट्र किन बातों के लिये अपने को समर्पित
कर पाते हैं।
वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक फादर लोमबार्डी ने यह भी कहा कि
अंततः शिखर सम्मेलन की सफलता विश्व के एक-एक व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह कोपनहेगेने
के समझौते को अपने जीवन में कैसे लागू करता है।
इस अवसर पर फादर लोमबार्डी ने
लोगों को यह भी याद दिलाया कि पूरी दुनिया की सुरक्षा सिर्फ इस बात पर निर्भर नहीं करती
है कि हमारा संबंध प्रकृति से कितना सौहार्दपूर्ण है पर इस बात पर भी कि हमारा संबंध
दूसरे व्यक्ति के साथ कितना आत्मीय है।
उन्होंने यह भी कहा कि पूरे विश्व के
आम लोगों को यह बताया जाना ज़रूरी है कि कोपेनहेगेन की समस्या आम लोगों की समस्या है।