101 वर्षीय प्रसिद्ध ईशशास्त्री जेस्विट फादर जोसेफ नूइनर का निधन
पूना 5 दिसंबर, 2009। प्रसिद्ध ईशशास्त्री 3 दिसंबर को पुना प्रोविंस के जेस्विट मुख्यालय
संजीवन आश्रम में हो गया। वे 101 साल के थे। उन्हें ज्ञान दीप विद्यापीठ कब्रस्थान में
दफ़नाया गया। पुना के जेस्विट प्रोविंशियल फादर बरत्राम रोजारियो ने कहा कि फादर
नुइनर की शांतिपूर्वक प्रभु में सदा के लिये सो गये। फादर अनिल ने बताया कि 29 नवम्बर
को फादर नुइनर को एक प्राइवेट क्लिनिक में उस समय भर्ती कराया गया था जब वे न्यूमोनिया
के कारण साँस नहीं ले पा रहे थे। उन्होंने बताया कि वे अंत तक प्रसन्न थे और 3 दिसंबर
को संत फ्रांसिस के पर्व दिवस के दिन ही स्वर्ग सिधार गये। ज्ञात हो कि फादर नुइनर
ने 60 के दशक में काथलिक कलीसिया द्वारा आयोजित वाटिकन की द्वितीय महासभा में धर्म के
एक विद्वान की हैसियत से अपना अऩुपम योगदान दिया था। उन्होंने जिस दस्तावेज़ में
अपना विशिष्ट योगदान दिया वह था ' नोस्तरा आयेताते ' जिसमें ईसाई धर्म का दूसरे धर्मों
के साथ संबंध के बारे में चर्चा की गयी है और ' एड जेन्तिस ' जिसमें कलीसिया की मिशनरी
गतिविधियों के बारे में लिखा गया है। इनके साथ उन्होंने एक प्रसिद्ध जेस्विट थेयोलोजियन
फादर कार्ल राहनर के साथ भी कार्य किया और पुरोहितों के प्रशिक्षण के बारे में कलमबद्ध
किया और एक दस्तावेज़ प्रस्तुत किया। यह भी विदित हो कि जब सन् 1964 में संत पापा
पौल षष्टम् मुम्बई यूखरिस्त काँग्रेस के लिये भारत आये थे तब उनके प्रभाषण को उन्होंने
ने ही तैयार किया था। फादर नुइनर का जन्म ऑस्ट्रिया के फेल्डक्रिच में 9 अगस्त सन्
1908 ईस्वी में हुआ था। उनका पुरोहिताभिषेक सन् 1926 ईस्वी में हुआ और वे सन् 1938 ईस्वी
में भारत आये थे। उन्होंने 60 सालों तक थियोलोजी पढ़ायी। उन्होंने ' द क्रिश्चियन
फेथ ' अर्थात ख्रीस्तीय विश्वास नामक किताब में योगदान दिये जिसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति
प्राप्त हुई।