बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश 2 दिसंबर,
2009
रोम, 2 दिसंबर, 2009। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने
संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं
में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा -
प्रिय भाईयो एवं बहनों,
आज की धर्म शिक्षामाला में हम मध्ययुगीन ईसाई संस्कृति के बारे में चिंतन करना जारी रखते
हुए संत थियेरी के विलियम के जीवन पर विचार करें।
विलियम एक महान् ईशशास्त्री
थे और क्लेरभौक्स के संत बेरनार्ड के मित्र थे। संत विलियम ने 20वीं सदी में मठवासियों
के नवीनीकरण में खुलकर योगदान दिया।
उन्होंने संत थियेरी के मठाधीश के रूप में
अपना जीवन बिताने के बाद सिनयी के सिसटेरसियन मठ में प्रवेश किया ।
उन्होंने
प्रेम की प्रकृति और शक्ति के बारे में अपने लेख लिखे। उन्होंने यह भी बताया कि मानव
की आत्मा प्रेम की शक्ति से ही कार्य करती है।
मानव का प्रेम पवित्र तृत्वमय
ईश्वर के प्रेम में ही अपनी परिपूर्णता प्राप्त करती है। पवित्र तृत्व का प्रेम ही दुनिया
के सब प्रेम का श्रोत है और दुनिया के सब प्रेम का लक्ष्य भी पवित्र तृत्व के प्रेम में
एक हो जाना है ।
विलियम का मानना था कि हमारा प्रेम तब ही पवित्र हो सकता है
जब यह ईश्वरीय प्रेम से प्रवाहित होता है।
इसके साथ मानव का प्रेम तब ही पवित्र
हो सकता है जब उसे ईश्वरीय प्रेम का व्यक्तिगत अनुभव और ज्ञान हो। विलियम का कहना था
' अमोर इपसे इन्तेलेक्तुस एस्त ' अर्थात् कि ' प्रेम ही प्रज्ञा लाता है ' ।
विलियम
का ये भी कहना था कि विश्वास के रहस्यों पर चिन्तन करने से हम ईश्वर के प्रतिरूप बनते
जाते हैं और जब हम उनकी इच्छा के अनुसार जीना सीख जाते हैं तो हम उनके साथ एक हो जाते
हैं।
आज हम प्रार्थना करें कि संत थेयेरि के विलियम के समान ही हम ईश्वर से प्रेम
करने के लिये लालायित रहें और उसी उत्साह से हम अपने पड़ोसियों को भी प्यार करें। ऐसा
करने से ही हम स्वर्गीय सुख का पूर्वानुभव कर पायेंगे।
इतना कहकर संत पापा ने
अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों
विद्यार्थियों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना की,
आगमनकाल की शुभकानायें दीं और और उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।