शांति का अर्थ सिर्फ़ युद्ध को टाल देना नहीं है – संत पापा
वाटिकन सिटी, 30 नवम्बर, 2009। संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कि शांति का अर्थ
युद्ध से बचना नहीं है। शांति का अर्थ है मानव अधिकार का सम्मान करना, परिवारों के विकास
के लिये कार्य करना और समाज से गरीबी और भ्रष्टाचार दूर हो करने के लिये कार्य करना।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने शनिवार 28 नवम्बर को वाटिकन
वाटिकन के क्लेमेनटिन सभागार में चिली और अर्जेनटिना के राष्ट्रपति से मुलाक़ात की। दोनों
की वार्ता 20 मिनटों तक चली।
ज्ञात हो कि 25 वर्ष पहले सन् 1984 में संत पापा
जोन पौल द्वितीय की मदद से दोनों देशों के बीच एक शांति और मित्रता का समझौता संभव हो
पाया था जिससे दोनों देशों के बीच संभवित युद्ध को टाला जा सका।
दोनों नेताओं
शांति और मित्रता समझौता के 25वें वर्षगाँठ पर संत पापा से मिलने आये थे।
वाटिकन
सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के बीच जो समझौता हुआ वह आज लैटिन अमेरिकी देशों के लिये
एक आदर्श बन गया। उससे दोनों देशों को जो भरपूर लाभ हुए हैं।
दोनों देशों
ने समझौते के बाद कई आर्थिक, सास्कृति और विकास के अनेक मुद्दों पर समझौते किये और मिलकर
दोनों देशों के विकास के लिये कार्य किया है।
इस अवसर पर बोलते हुए संत पापा ने
कहा कि अब ये दोनों देश न केवल दो पड़ोसी देश हैं पर दो बहनें हैं, जिनका मिशन है भ्राईचारा,
सम्मान और मित्रता जिसे उन्होंने अपने देश की काथलिक आध्यात्मिक परंपरा से पाया है।
संत
पापा ने आगे कहा कि विश्व में शांति तब ही आ सकती है जब लोग जीवन को मह्त्व दें, उसका
सम्मान करें और पारिवारिक मूल्यों को मजबूत करें।
शांति के लिये यह भी आवश्यक
है कि लोगों को उचित शिक्षा दी जाये, गरीबी और भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान जारी रखा
जाये और आर्थिक प्रगति के लिये काम किया जाये।
संत पापा ने आगे कहा प्रजातांत्रिक
मूल्यों को भी मजबूत करने की ज़रूरत है और महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध किसी भी हिंसा
और अत्याचार को को रोके जाने की आवश्यकता है।
ज्ञात हो कि सन् 1978 में अर्जेनटिना
का राष्ट्रपति जोर्ज विदेला और चिली के राष्ट्रपति अगुस्तो पिनोचेट बीगल नहर और तीन छोटे
द्वीपों को लेकर युद्ध के कग़ार पर थे पर संत पापा जोन पौल के हस्तक्षेप से दोनों के
बीच सुलह हो गयी थी।
इस संधि के अनुसार द्वीप चिली को दिये गये और अर्जेनटिना
को समुद्री अधिकार दिये गये थे।