देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 29 नवम्बर को संत पेत्रुस महामंदिर के
प्रांगण में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना से पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए कहाः अतिप्रिय
भाईयो और बहनो, ईश्वर की कृपा से इस रविवार को हम नया पूजनधर्मविधि वर्ष आरम्भ कर
रहे हैं जो स्वाभाविक रूप से आगमन काल से शुरू होता है प्रभु के जन्म की तैयारी का काल।
धर्मविधि के संविधान में द्वितीय वाटिकन महासभा कहती है कि कलीसिया वार्षिक चक्र में
ख्रीस्त के सम्पूर्ण रहस्य को देहधारण से लेकर जन्म तक, सवर्गारोहण, पेंतेकोस्त तथा
आशा सहित प्रभु के आने की प्रत्याशा को प्रस्तुत करती है। इस तरह से मुक्ति के रहस्यों
को स्मरण करते हुए विश्वासियों के सामने अपने प्रभु के गुणों और मुक्तिदायी कार्य़ों की
समृद्धि को प्रस्तुत करती है ताकि वे किसी न किसी रूप में सब समय उपस्थित रहें और विश्वासी
जन उन तक पहुँच सकें और मुक्ति की कृपा से भर सकें। महासभा इस तथ्य पर जोर देती है कि
धर्मविधि के केन्द्र में ख्रीस्त हैं। यह सूर्य़ के समान हैं जिसके चारों ओर ग्रह परिक्रमा
करते हैं। पूजन धर्मविधि के चारों और धन्य कुँवारी माता मरिया हैं वे सबसे निकट हैं और
शहीद तथा अन्य संत स्वर्ग में ईश्वर का महिमागान करते हैं और हमारे लिए मध्यस्थता करते
हैं। यह पूजन धर्मविधि वर्ष की वास्तविकता है जो दिखाई देती है और कहा जा सकता है
कि ईश्वर की ओर से दिखाई देता है। और दूसरी ओर से क्या हम कहें कि मानव, इतिहास और समाज
की ओर से इसका क्या महत्व है आगमन यात्रा उचित रूप से इसके जवाब का सुझाव देती है
जिसे आज हम आरम्भ करते हैं। समसामयिक विश्व को सबसे अधिक आशा की जरूरत है। विकासशील
लोगों को इसकी जरूरत है। लेकिन साथ ही साथ जो आर्थिक रूप से विकसित हैं उन्हें भी जरूरत
है। हम देखते हैं कि हमसब एक ही नाव पर सवार हैं और हम सबको एकसाथ बचने की जरूरत है।
सबसे ऊपर, देखते हैं कि अनेक झूठी सुरक्षा चरमरा रही है हम महसूस करते हैं कि आस्थापूर्ण
आशा की जरूरत है और यह केवल ख्रीस्त में पायी जा सकती है जिसके बारे में इब्रानियों के
नाम पत्र में कहा गया है ईसा मसीह एकरूप रहते हैं कल, आज और अनन्तकाल तक।
प्रभु
येसु अतीत में आये, वे वर्तमान समय में आते हैं और भविष्य में आयेंगे। वे समय के हर आयाम
का आलिंगन करते हैं क्योंकि वे मर गये और जी उठे वे जीवित हैं और हमारी मानवीय भंगुरता
में भाग लेते हैं सदा रहते हैं और हमें ईश्वर की सत्यप्रतिज्ञता अर्पित करते हैं। वे
हमारी तरह शरीर हैं और चट्टान के समान ईश्वर हैं। जो व्यक्ति आजादी, न्याय और शांति
चाहता है वह स्वयं को ऊपर उठाये और अपने सिर को उठाये क्योंकि ख्रीस्त में मुक्ति निकट
है जैसा कि हम आज के सुसमाचार में पढ़ते हैं। इसलिए हम पुष्टि करते हैं कि येसु ख्रीस्त
न केवल ख्रीस्तीयों को देखते हैं या केवल विश्वासियों को लेकिन सब लोगों को देखते हैं
क्योंकि वह जो विश्वास का केन्द्र हैं वे आशा की भी नींव हैं। वह ऐसी आशा हैं जिसे हर
व्यक्ति को सदा जरूरत रहती है। प्रिय भाईयो और बहनो, कुँवारी मरियम पूरी तरह से मानवजाति
को जन्म देती है जो जीवित ईश्वर में विश्वास पर आधारित आशा में जीवन जीती है। वे आगमन
की कुँवारी हैं। वे वर्तमान में पूरी तरह स्थापित हैं मुक्ति के आज में विद्यमान हैं,
वे अपने हृदय में अतीत की सब स्मृतियों को संजोये रखती हैं और भावी पूर्णता की ओर बढ़ती
हैं। हम उनके विद्यालय में प्रवेश करें ताकि कृपा के इस काल में वास्तव में प्रवेश कर
सकें तथा आनन्द और जिम्मेदारी के साथ हमारे निजी और सामाजिक इतिहास में प्रभु का स्वागत
कर सकें। इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको
अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।