बच्चों और किशोरों की सुरक्षा और विकास के प्रति जागरुक हो ईसाई समाज - संत पापा
वाटिकन सिटी, 28 नवम्बर, 2009। संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने ईसाइयों से अपील की है
कि वे विस्थापितों और शरणार्थियों को विशेषकरके बच्चों और युवाओँ की दयनीय स्थिति के
बारे में जागरुक हों।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने विस्थापितों
और शर्णार्थियों के लिये अपने संदेश जारी किये।
संत पापा ने अपने संदेश में
उन बातों को फिर से दुहराया जिन्हें उन्होंने विस्थापितों और शर्णर्थियों के 96वें विश्व
दिवस के अवसर पर लिखा था।
ज्ञात हो कि यह समारोह 17 जनवरी 2010 को मनाया जायेगा।
संत पापा ने कहा कि शर्णार्थीयों के अधिकारों की रक्षा की हरसंभव और हर परिस्थिति में
की जानी चाहिये।
ज्ञात हो कि इस वर्ष की समारोह की विषयवस्तु है बच्चे और युवा
शर्णार्थी। संत पापा ने कहा कि ईसाइयों को चाहिये कि वे बच्चों और किशोरों को विशेष
ध्यान दें।
उन्होंने कहा येसु को भी एक शर्णार्थी के जीवन का अनुभव अपने बाल्यकाल
में ही हुआ था जब उन्हें राजा हेरोद से बचने के लिये अपनी माँ मरिया और योसेफ के साथ
मिश्र देश की शरण लेनी पड़ी थी।
इस अवसर पर बोलते हुए संत पापा ने कहा कि आज विस्थापितों
और शर्णर्थियों की समस्याओं के बारे में लोगों में जागरुकता आ गयी है पर आज ज़रुरत है
कि लोग बच्चों और किशोरों को बचाने का प्रयास करें।
उन्होंने कहा कि जागरुकता
आ जाने के बाद भी कई लोगों को विभिन्न कठिनाइयों और अत्याचारों का सामना करना पड़ता है।
संत पापा ने आशा व्यक्त की है कि लोग इस बात पर ध्यान देंगे कि शर्णार्थी बच्चे
और युवाओं को एक ऐसा वातावरण मिल पायेगा जिससे उनका शारीरिक सांस्कृतिक आध्यात्मिक और
नैतिक विकास संभव हो सके।
संत पापा इस ओर भी लोगों का ध्यान खींचा कि वे दूसरे
राष्ट्र में जीवन जीना आसान नहीं हैं।
पोप ने कहा कि युवाओं को शिक्षा की सुविधा
दी जानी चाहिये ताकि वे समाज के लिये भी अपना योगदान दे सकें।
संत पापा ने कहा
कि इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिये कि युवाकाल एक ऐसा समय है जब उन्हें जीवन का उचित
प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये।
उन्होंने काथलिक संगठनों से भी अपील की है कि वे
इस समस्या के समाधान के लिये कुछ ठोस कदम उठायें।
संत पापा ने कहा कि यदि हम
प्रवासियों और परदेशियों की देखभाल करते हैं तो सुसमाचार के वचनों का ही पालन करते हैं।
उन्होंने
आशा व्यक्त की है कि विश्व के नेता और अंतरराष्ट्रीय संगठन भी शर्णार्थी बच्चों और युवाओं
की सुरक्षा और विकास पर विशेष ध्यान देंगे।