2009-11-28 09:19:32

एशिया का सबसे प्रसिद्ध मसज़िद देखने गये कार्डिनल तौरान


जकार्ता 27 नवम्बर, 2009। अन्तरधार्मिक वार्ता के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जाँन लुइस तौरान  25 नवम्बर को इंडोनेशिया में अवस्थित दक्षिणपूर्व एशिया का सबसे विशाल मसज़िद देखने गये और वहाँ के मुसलिम नेताओं से मुलाकात की । 

मसजिद के इमाम कियाई हज्ज़ सियाफुरिद्दीन मुहम्मद ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया इमाम सियाफुरिद्दीन ने कहा कि वह मसज़िद सिर्फ मुसलमानों का नहीं है पर यहाँ सभी धर्मावलंबियों का स्वागत है।

कार्डिनल तौरान ने कहा कि इंडोनेशिया में मुसलमानों और ईसाइयों के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण है और वातावरण शांतिपूर्ण है। 

उन्होंने कहा कि मुसलमानों की आध्यात्मिकता बहुत गहरी है। मुसलमान बड़े सवेरे उठकर सबसे पहले भगवान से प्रार्थना करते हैं।

अगर हर व्यक्ति ऐसा ही करे तो व्यक्ति का जीवन व्यवस्थित हो जायेगा।  इन सब बातों को हमें मुसलमानों से सीखना चाहिये।

उन्होंने अपनी इंडोनिशिया यात्रा के बारे में बोलते हुए कहा कि ईसाइयों को चाहिये कि उन्हें अपने विश्वास का साक्ष्य देना चाहिये। अन्तर धार्मिक वार्ता का यह बहुत ही बड़ा पक्ष है।

इसके लिये हममें गहरी आध्यात्मिकता  की आवश्यकता होती है।
ज्ञात हो कि इंडोनशिया के मसज़िद में एक लाख लोग एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं।

इस मसज़िद की डिज़ाइन एक प्रोटेस्टंड फ्रेडरिक सिलाबन ने की थी। इसका नाम ' इसतिकलल ' रखा गया है जिसका शाब्दिक अर्थ अरबी भाषा में स्वतंत्रता होता है।

इसे बनाने में 17 साल लगे थे। सन् 1978 ईस्वी को लोगों के लिये खोला गया। ज्ञात हो कि कार्डिनल तौरान की इंडोनेशिया यात्रा में  जकार्ता के जेस्विट कार्डिनल कोजूटर महाधर्माध्यक्ष इग्नासियुस सुहार्यो हरदजोमोरदजो भी साथ में थे।

इस यात्रा के आयोजनकर्ताओं कार्डिनल तौरान की यात्रा को सफल बताया है और कहा इससे ईसाई और मुसलिमों के बीच समझदारी बढ़ेगी और एक सौहार्दपूर्ण माहौल में दोनों समुदाय के लोग देश के लिये कार्य कर सकेंगे।

कार्डिनल तौरान एक दिसंबर को रोम वापस लौट जायेंगे।











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